बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
पूरी दुनिया के मुसलमान भाइयो और बहनो!
हज का अवसर, वास्तव में गौरव, लोगों की नज़रों में प्रतिष्ठा, दिल के प्रकाशमय होने और रचयिता के सामने गिड़गिड़ाने व शीश नवाने की ऋतु है। हज, पवित्र, सांसारिक, ईश्वरीय व जन कर्तव्य है। एक ओर से अल्लाह को याद करो जैसे तुम अपने पूर्वजों को याद करते हो या उससे भी अधिक का आदेश, और दूसरी ओर यह कहा जाना कि हमने उसे लोगों के लिए समान बनाया है चाहे वह मक्का में रहने वाला हो या मरुस्थल में, हज के अनंत व विविधतापूर्ण आयामों को स्पष्ट करता है।
इस अभूतपूर्व कर्तव्य में समय व स्थान की सुरक्षा, स्पष्ट चिन्ह और किसी चमकते सितारे की भांति इन्सानों के दिलों को शांति प्रदान करती है और हाजियों को वर्चस्ववादी अत्याचारियों की ओर से खींचे गये असुरक्षा के उस दायरे से बाहर ले जाती है जो हमेशा इन्सानों के लिए ख़तरा रहा है और हाजियों को एक विशेष समय तक सुरक्षा के सुख का आभास कराती है।
इब्राहीमी हज जो वास्तव में इस्लाम की ओर से मुसलमानों को मिलने वाला उपहार है, प्रतिष्ठा, अध्यात्म, एकता व महानता का प्रतीक और दुश्मनों व बुरा चाहने वालों के सामने इस्लामी राष्ट्र की महानता और ईश्वर की अनंत शक्ति पर उनके भरोसे को दिखाता और अंतराष्ट्रीय शक्तियों और वर्चस्ववादियों की ओर से मानव समाज पर थोपे गये भ्रष्टाचार व तुच्छता से उनकी दूरी को स्पष्ट करता है। इस्लामी व एकतावादी हज, काफ़िरों के प्रति कठोर और आपस में कृपालु होने का प्रतीक और अनेकेश्वरवादियों से विरक्तता तथा मोमिनों के मध्य प्रेम, एकता व सौहार्द की जगह है।
जिन लोगों ने हज को सैर-सपाटे के लिए की जाने वाली यात्रा की हद तक गिरा दिया है और ईरान की मोमिन और क्रांतिकारी जनता के प्रति अपने द्वेष को, हज के राजनीतिकरण के दावे के पीछे छुपाया है वे वास्तव में ऐसे छोटे व तुच्छ शैतान हैं जो बड़े शैतान अमरीका के हितों के लिए ख़तरा पैदा होने पर कांपने लगते हैं। इस साल अल्लाह की राह और काबे के रास्ते को बंद करने वाले सऊदी अधिकारी, जिन्होंने ईरानी हाजियों को काबा जाने से रोक दिया, वास्तव में काली करतूतों वाले भ्रष्ट शासक हैं जो अपनी अन्यायपूर्ण सत्ता को, विश्व साम्राज्य के समर्थन, ज़ायोनिज़्म और अमरीका के साथ दोस्ती और उनके आदेशों के पालन पर निर्भर समझते हैं और इसके लिए किसी भी प्रकार की ग़द्दारी में तनिक भी संकोच नहीं करते।
मिना की दुखदायी त्रासदी को लगभग एक साल का समय बीत गया कि जिस में ईद के दिन और हज की विशेष पोशाक में, तेज़ धूप में प्यास की दशा में असहाय होकर हज़ारों हाजी मारे गये थे और उससे कुछ पहले भी काबे में उपासना और परिक्रमा व नमाज़ के दौरान बहुत से हाजियों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। सऊदी अधिकारी दोनों दुर्घटनाओं के ज़िम्मेदार हैं और इस वास्तविकता पर वहां उपस्थित सभी लोग, सारे विशेषज्ञ और निरीक्षक एकमत हैं और कुछ विशेषज्ञों ने तो इस दुर्घटना के पीछे साज़िश की आशंका भी प्रकट की है। ईदुलअज़हा के अवसर पर ईश्वर के नाम और उसके संदेश का जाप करने वाले घायल व मरते हाजियों को बचाने में निश्चित रूप से लापरवाही भी बरती गयी है। निर्दयी व अपराधी सऊदी अधिकारियों ने इन घायल हाजियों को मर जाने वाले हाजियों के साथ कंटेनरों में बंद कर दिया और उनका उपचार करने और उन्हें पानी पिलाने के बजाए उन्हें शहीद कर दिया। विभिन्न देशों के कई हज़ार परिवारों के प्रियजन मारे गये और कितने राष्ट्र शोकाकुल हुए। इस्लामी गणतंत्र ईरान के लगभग 500 हाजी शहीद हुए, उनके परिजन अब भी दुखी हैं और ईरानी राष्ट्र अब भी उनका शोक मना रहा है।
लेकिन सऊदी नेता, माफ़ी मांगने और खेद प्रकट करने तथा इस भयानक त्रासदी के सीधे ज़िम्मेदारों को सज़ा देने के बजाए, बड़ी निर्लज्जता के साथ एक अंतर्राष्ट्रीय इस्लामी जांच समिति के गठन तक पर तैयार नहीं हुए और दोषी के रूप में कटघरे में खड़े होने के बजाए, दावेदार बन गये। उन्होंने इस्लामी गणतंत्र ईरान और अनेकेश्वरवाद व साम्राज्य के मुकाबले में लहराने वाली हर पताका के ख़िलाफ़ अपनी पुरानी दुश्मनी को अधिक घृणित रूप में प्रकट कर दिया।
ज़ायोनियों और अमरीका के प्रति अपने व्यवहार से इस्लामी जगत के लिए कलंक बनने वाले राजनेताओं, ईश्वर से न डरने वाले, हराम खाने वाले और क़ुरआन व हदीस के विपरीत फ़तवा देने वाले मुफ्तियों और उन मीडिया एजेन्टों सहित कि जिनका कर्तव्यबोध भी उन्हें झूठ फैलाने और झूठ बोलने से नहीं रोक पाता, सऊदी शासकों के सभी प्रचारिक भोंपू, इस साल ईरानियों को हज से वंचित करने का ज़िम्मेदार, इस्लामी गणतंत्र ईरान को दर्शाने की नाकाम कोशिश कर रहे हैं। तकफ़ीरी व आतंकवादी गुटों को बना कर उन्हें सशस्त्र करने और इस्लामी जगत को गृहयुद्धों में फंसाने वाले, बेगुनाहों का ख़ून बहाने वाले, यमन, इराक़, सीरिया व लीबिया तथा अन्य देशों में रक्तपात करने वाले, ईश्वर को भूल कर ज़ायोनियों की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाने वाले, फ़िलिस्तीनियों की पीड़ा व दुखों की अनदेखी करने वाले, बहरैन के नगरों और गांवों में अत्याचार व अन्याय फैलाने वाले, अंतरात्माहीन, अधर्मी शासक कि जिन्होंने मिना की महात्रासदी को जन्म दिया और मक्का व मदीना के पवित्र स्थलों के सेवकों का रूप धार कर इन स्थलों की पवित्रता व शांति को भंग करने वाले और ईद के दिन और उससे पहले काबा में ईश्वर के अतिथियों की बलि चढ़ाने वाले सऊदी शासक अब हज को राजनीति से दूर रखने की बात कर रहे हैं और दूसरों को उन पापों का ज़िम्मेदार बता रहे हैं जो उन्होंने खुद किए हैं और जिनका कारण रहे हैं। ये लोग क़ुरआने मजीद की इन आयतों को यथार्थ करते हैं कि जिनमें कहा गया हैः और जब उसे सत्ता मिलती है तो वह धरती पर भ्रष्टाचार व ख़राबी फैलाने का प्रयास करता है, खेतियां और पीढ़ियां तबाह करता है और अल्लाह फ़साद पसन्द नहीं करता। और जब उससे कहा जाता है कि अल्लाह से डर तो उसे पाप पर घमंड होता है तो उसके लिए नरक काफ़ी है और वह बहुत बुरा ठिकाना है।
इस साल के हज में भी रिपोर्टों के अनुसार ईरानी और कुछ अन्य देशों के हाजियों का रास्ता रोकने के अलावा दूसरे देशों के हाजियों को अमरीका और ज़ायोनी शासन की ख़ुफिया एजेन्सियों के सहयोग से अभूतपूर्व निगरानी में रखा गया है और अल्लाह के सुरक्षित घर को सबके लिए असुरक्षित बना दिया गया है।
इस्लामी सरकारों और राष्ट्रों सहित पूरे इस्लामी जगत को चाहिए कि वह सऊदी शासकों को पहचाने और धर्म से दूर उनकी भौतिकता से भरी मानसिकता को सही तरह से समझे, उन्होंने इस्लामी जगत में जो अपराध किये हैं उनके लिए उनसे सवाल करे और ईश्वर के अतिथियों के साथ उनके अत्याचारपूर्ण व्यवहार की वजह से मक्का व मदीना के पवित्र स्थलों के संचालन और हज के लिए कोई रास्ता खोजे। इस कर्तव्य के प्रति लापरवाही इस्लामी राष्ट्र के भविष्य को अधिक बड़ी समस्याओं में ग्रस्त कर देगी।
मुसलमान भाइयो और बहनो! इस साल ईरान के आस्था से भरे हाजियों की कमी महूसस की जा रही है लेकिन उनके दिल पूरी दुनिया से हज करने वालों के साथ हैं और उनके लिए चिंतित हैं और दुआ करते हैं कि दुष्ट शासकों का गिरोह उन्हें कोई नुक़सान न पहुंचा पाए। अपने ईरानी भाईयों और बहनों को अपनी दुआओं और उपासनाओं में याद रखिएगा और इस्लामी समाजों की चिंताओं के निवारण और इस्लामी जगत में साम्राज्यवादियों, ज़ायोनियों और उनके एजेन्टों के प्रभावों के अंत की दुआ कीजिए।
मैं पिछले साल मिना और काबा के शहीदों और 31 जूलाई सन 1987 को मक्का के शहीदों को श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं और महान ईश्वर से उनके लिए क्षमा, कृपा और उनकी महानता की दुआ करता हूं और इमामे ज़माना पर सलाम भेजते हुए याचना करता हूं कि वे इस्लामी राष्ट्र की महानता और दुश्मनों की दुष्टता से मुसलमानों को छुटकारा मिलने की दुआ करें।
सैयद अली ख़ामेनेई
२ सितम्बर सन २०१६