दाइश के ख़िलाफ़ अमरीकी गठबंधन नाकाम है, वरिष्ठ नेता

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दाइश के ख़िलाफ़ अमरीकी गठबंधन नाकाम है, वरिष्ठ नेता

22 नवंबर 2016 स्लोवेनिया के राष्ट्रपति बोरत पाहोर (बाएं) और वरिष्ठ नेता (दाएं) की मुलाक़ात की तस्वीर

तेहरान दौरे पर आए स्लोवेनिया गणराज्य के राष्ट्रपति बारूत पाखोर ने वरिष्ठ नेता से मंगलवार को मुलाक़ात की।

इस अवसर पर वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली ख़ामेनई ने क्षेत्र की दर्दनाक घटनाओं और कुछ शक्तियों की ओर से राष्ट्रों पर थोपी गयी जंग व अस्थिरता की ओर इशारा करते हुए बल दिया कि इस्लामी गणतंत्र ईरान स्वाधीन देशों से हमेशा यह कहता रहा है कि वे राष्ट्रों पर दबाव से निपटने में अपना सक्रिय योगदान दें न कि ख़ामोश तमाशा देखते रहें।

इस अवसर पर स्लोवेनिया के राष्ट्रपति ने ईरानी अधिकारियों के साथ सार्थक बातचीत का उल्लेख करते हुए कहा कि उनका देश ईरान के साथ सभी क्षेत्र में संबंध बढ़ाने में रुचि रखता है।

22 नवंबर 2016 को ईरानी राष्ट्रपति रूहानी(बाएं) स्लोवेनिया के राष्ट्रपति बोरत पाहोर (बीच में) और वरिष्ठ नेता (दाएं) की मुलाक़ात की तस्वीर

 

वरिष्ठ नेता ने पश्चिम एशियाई देशों में हिंसक झड़प और दाइश जैसे आतंकवादी गुट के वजूद को कुछ शक्तियों के हस्तक्षेप का नतीजा बताया।

वरिष्ठ नेता ने कहा कि सभी देशों का यह कर्तव्य है कि वह इन झड़पों की आग को ख़ामोश करने में अपना योगदान दें और इस्लामी गणतंत्र ईरान भी कुछ वर्चस्ववादी शक्तियों के दुष्प्रचार के विपरीत इस उद्देश्य के लिए सक्रिय है, लेकिन दूसरे देशों के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करता।

इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता ने दाइश के ख़िलाफ़ अमरीकी गठजोड़ को नाकाम बताया और इस नाकामी के कारण की व्याख्या में इस संदर्भ में मौजूद दो दृष्टिकोण का उल्लेख किया। वरिष्ठ नेता ने कहा कि पहले दृष्टिकोण के अनुसार, अमरीका दाइश का सफ़ाया करना नहीं चाहता बल्कि इसके संदर्भ में ऐसा रवैया अपनाना चाहता है कि यह मुश्किल इराक़ और सीरिया में उसी तरह बनी रहे जिस तरह ब्रिटेन ने भारत के उपनिवेश के दौरान कश्मीर के संबंध में रवैया अपनाया कि उसे न भरने वाले घाव की तरह छोड़ दिया जिसके नतीजे में आज तक दो पड़ोसी देश भारत-पाकिस्तान इस विषय पर मतभेद का शिकार हैं।

 

आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली ख़ामेनई ने कहा कि दूसरे दृष्टिकोण के अनुसार, अमरीकी दाइश की समस्या को हल करना चाहते हैं लेकिन तंत्र ऐसा नहीं है कि वे इस काम को कर पाएं। जैसा कि दोनों दृष्टिकोण का नतीजा एक जैसा रहा और आज इराक़ ख़ास तौर पर सीरिया की स्थिति बहुत कठिन है।

उन्होंने यमन पर सऊदी अरब के 20 महीने से जारी हमले और यमन की मूल रचनाओं की तबाही को भी क्षेत्र की मौजूदा कटु घटनाओं में गिनवाते हुए कहा कि स्वाधीन सरकारों को इन घटनाओं से निपटना चाहिए, क्योंकि एक राष्ट्र की पीड़ा वास्तव में पूरी मानवता की पीड़ा के समान है।

वरिष्ठ नेता ने ईरान के परमाणु समझौते जेसीपीओए के क्रियान्वयन पर पूरी तरह प्रतिबद्ध रहने का उल्लेख करते हुए, सामने वाले पक्ष की प्रतिबद्धताओं का पालन न करने के कारण आलोचना की।

 

 

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