आधिकारिक रूप से डोनल्ड ट्रंप के सत्ता की बागडोर संभालने से पहले इस्लामी केन्द्रों और मुसलमानों पर हमले ट्रंप के राष्ट्रपति चुने जाने के कुछ परिणाम हैं जो अभी से स्पष्ट हो गये हैं।
अमेरिका में हालिया सप्ताहों विशेषकर इस देश में राष्ट्रपति चुनावों के परिणामों की घोषणा के बाद इस देश की अधिकांश मुसलमान महिलाओं को हिंसात्मक हमलों का सामना रहा है।
इस संबंध में अमेरिकी टीवी चैनल सीएनएन ने जो रिपोर्ट तैयार की है उसमें आया है कि अमेरिका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने चुनावी प्रचार के दौरान जो अतिवादी भाषण दिये थे वे इस देश में विशेषकर मुसलमानों के विरुद्ध घृणा और अपराध में वृद्धि का कारण बने हैं।
आधिकारिक रूप से डोनल्ड ट्रंप के सत्ता की बागडोर संभालने से पहले इस्लामी केन्द्रों और मुसलमानों पर हमले ट्रंप के राष्ट्रपति चुने जाने के कुछ परिणाम हैं जो अभी से स्पष्ट हो गये हैं।
इस मध्य हिजाब करने के कारण सबसे अधिक मुसलमान महिलाओं को सामाजिक, मानसिक और दूसरे प्रकार के हमलों का सामना है।
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के परिणामों की घोषणा से लेकर अब तक 700 से अधिक बार अमेरिकी मुसलमानों के विरुद्ध हमले पंजीकृत हो चुके हैं। इन हमलों से मुकाबले के लिए बहुत सी मुसलमान महिलाएं हमलों से बचाव की प्रशिक्षण क्लासों में जाने पर बाध्य हुई हैं।
डोनल्ड ट्रंप ने इस्लाम विरोधी अपने एक भाषण में कहा था कि अमेरिका में मुसलमानों के प्रवेश को रोका जाना चाहिये।
अमेरिका का राष्ट्रपति चुने जाने के बाद भी डोनल्ड ट्रंप का यही दृष्टिकोण है। वास्तव में डोनल्ड ट्रंप के इस्लाम और मुसलमान विरोधी वक्तव्यों ने अमेरिका में दक्षिणपंथियों और जातीवादियों को आवश्यक बहाना दे दिया है ताकि वे इस्लामी केन्द्रों और मुसलमानों पर अपने हमलों को जारी रख सकें।
अभी कुछ दिन पूर्व अमेरिका और इस्लामी संबंधों की परिषद ने एक रिपोर्ट में चेतावनी दी कि अमेरिका में मुसलमानों के प्रति जो नकारात्मक आभास है वह इस देश के राजनीतिक वातावरण से प्रभावित है और इसी संबंध में अमेरिका में मुसलमानों के प्रवेश को रोके जाने पर आधारित उसने डोनल्ड ट्रंप के वक्तव्य की ओर संकेत किया।
मस्जिदों और उपासना स्थलों पर हमले व आग लगाये जाने, इसी प्रकार मुसलमानों के साथ भेदभाव और हमलों को अमेरिकी समाज में मौजूद इस्लामोफोबिया के परिप्रेक्ष्य में देखा जा सकता है।