ईरान के संसद सभापति डाक्टर अली लारीजानी ने ईरान विरोधी दस वर्षीय प्रतिबंधों की समय सीमा बढ़ाने के क़ानून के बारे में सेनेट के निर्णय को यातनादायक कार्यवाही बताया है।
संसद सभापति ने मंगलवार की शाम एक पत्रकार सम्मेलन में अमरीका की ओर से जेसीपीओए के उल्लंघन और ईरान विरोधी प्रतिबंधों के जारी रहने के बारे में कहा कि देश की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद और जेसीपीओए के क्रियान्वयन पर नज़र रखने वाली परिषद, अमरीका की इन कार्यवाहियों के मुक़ाबले के बारे में फ़ैसला करेगी।
डाक्टर अली लारीजानी ने कहा कि जेसीपीओए के दस्तावेज़ के 70वें अनुच्छेद में आया है कि सरकार को अपने प्रतिरक्षा आधारों को मज़बूत करना चाहिए और मीज़ाइल के क्षेत्र में भी ईरान को अपनी मीज़ाइल क्षमताओं को बढ़ाना चाहिए।
संसद सभापति ने कहा कि परमाणु समझौता, ईरान और अमरीका के मध्य हुआ कोई समझौता नहीं है बल्कि यह एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है क्योंकि यह संयुक्त राष्ट्र संघ में पास हुआ है और इसी के आधार पर एक प्रस्ताव भी पारित किया गया है और यह कोई बात नहीं हुई कि एक देश इसके बारे में फ़ैसला करे और इसका उल्लंघन करे।
संसद सभापति ने सीरिया संकट के बारे में कहा कि सीरिया संकट के समाधान का बेहतरीन मार्ग, राजनैतिक वार्ता है क्योंकि सैन्य समाधान का कोई परिणाम सामने नहीं आएगा। संसद सभापति ने इसी प्रकार इराक़ के बारे में कहा कि ईरान ने सदैव इराक़ की अखंडता और संप्रभुता का सम्मान किया है।
संसद सभापति ने कहा कि क्षेत्र की विषम परिस्थिति से सबसे अधिक लाभ ज़ायोनी शासन उठा रहा है क्योंकि इन परिस्थितियों में फ़िलिस्तीनी जनता के उमंगों के लिए प्रयास करना कठिन हो गया है। उन्होंने कहा कि समस्त देशों को चाहिए कि इस संबंध में अपने सहयोग बढ़ाएं।