इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा कि दुश्मन देश के युवाओं के मन व मस्तिष्क को प्रभावित करना चाह रहे हैं और इसका एक उद्देश्य ईरान पर अपना आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक वर्चस्व जमाना है।
वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने मंगलवार को तेहरान में छात्रों के एक कार्यक्रम के अवसर पर कहा कि युवाओं को जो आज ईरानी राष्ट्र के सपूत और देश के भावी नेता व अधिकारी हैं, अपनी सक्रिय उपस्थिति द्वारा दुश्मनों की इस साज़िश को नाकाम बनाना चाहिए।
वरिष्ठ नेता ने छात्रों के मध्य अपने भाषण में कहा कि सामाजिक व व्यक्तिगत विकास का रहस्य, ईश्वर से संपर्क बनाए रखने में निहित है और आज डूबती और पतन की ओर बढ़ती पश्चिमी सभ्यता की सब से बड़ी बुराई, ईश्वर से संपर्क खत्म करना है।
वरिष्ठ नेता ने छात्रों से कहा कि वह देश पर जान न्योछावर करने वाले शहीदों को अपना आदर्श बनाएं जिन्होंने देश की स्वाधीनता और राष्ट्रीय हितों की रक्षा और दुश्मनों को भगाने के लिए अपनी सब से मूल्यवान पूंजी अर्थात अपनी जान न्योछावर कर दी।
वरिष्ठ नेता ने ईश्वर से संबंध बनाए रखने का रास्ता, नमाज़ और कुरआन की तिलावत बताया और कहा कि इस बात पर ध्यान देने से कि नमाज़ पढ़ते समय मनुष्य, ईश्वर से बात करता है इंसान में ईश्वर पर भरोसा, साहस और आत्मविश्वास पैदा होता है इस लिए नमाज़ उसके सही समय पर और पूरे ध्यान से पढ़ना चाहिए और कुरआन से उसके अर्थों को समझ कर निकट होना और स्थायी संबंध बनाना चाहिए।