वरिष्ठ नेता ने कहा है कि ब्रिटेन सदैव ही पश्चिमी एशिया के लिए दुखों और कष्टों का कारण रहा है।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने शनिवार को तेहरान में उन मेहमानों से मुलाक़ात की जो एकता कांफ़्रेंस में भाग लेने के लिए ईरान आए थे।
इस्लामी देशों के राजदूतों और विदेशी अतिथियों को संबोधित करते हुए कहा कि क्षेत्र में दो परस्पर विरोधाभासी विचार पाए जाते हैं एकता और मतभेद। वरिष्ठ नेता ने कहा कि वर्तमान संवेदनशील परिस्थितियों में पवित्र क़ुरआन और ईश्वरीय दूतों की उच्च शिक्षाओं पर भरोसा करते हुए मतभेद फैलाने के कुप्रयास को विफल बनाया जा सकता है।
आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने कहा कि पिछली दो शताब्दियों के दौरान ब्रिटेन की नीतियां, क्षेत्र में मतभेद फैलाने पर आधारित रही हैं। उन्होंने कहा कि हालिया दिनों में ब्रिटेन ने ईरान जैसे अत्याचारग्रस्त देश को क्षेत्र के लिए ख़तरा घोषित किया है। वरिष्ठ नेता ने कहा कि हालांकि इन आरोपों के बावजूद यह ब्रिटेन ही है जो सदैव ही दुखों और कष्टों का कारण बना रहा है।
वरिष्ठ नेता ने मुसलमानों के बीच मतभेद फैलाने के लिए वर्चस्ववादियों के कुप्रयासों की ओर संकेत करते हुए कहा कि इस समय इस्लामी जगत, नाना प्रकार की समस्याओं में घिरा हुआ है जिनका समाधान, एकता के माध्यम से किया जा सकता है।
आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने कहा कि इस्लामी जगत में एकता स्थापित होने की स्थिति में मुसलमानों के एकजुट न करने के बारे में अमरीकी और ज़ायोनी प्रयास विफल हो जाएंगे और इसी के साथ फ़िलिस्तीनियों के विषय को एक किनारे डालने का उनका षडयंत्र भी विफल हो जाएगा।
वरिष्ठ नेता ने म्यांमार में मुसलमानों के जनसंहार से लेकर अफ़्रीका और पश्चिमी एशिया में जारी रक्तपात को वर्चस्ववादियों के षडयंत्रों का परिणाम बताते हुए कहा कि इन हालात में ब्रिटेन में सक्रिय कुछ शिया गुट और अमरीका में सक्रिय कुछ सुन्नी गुट, मुसलमानों के बीच मतभेद फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
उन्होंने एकता को मुसलमनों की महत्वपूर्ण आवश्यकता बताते हुए कहा कि मुसलमानों के सभी पंथों को एकता का सम्मान करते हुए मतभेदों से बचना चाहिए। वरिष्ठ नेता ने कहा कि पवित्र क़ुरआन, पै़गम्बरे इस्लाम (स) और पवित्र काबा, मुसलमानों के बीच एकता का केन्द्र हैं।