इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने इस्लामी व्यवस्था के दुष्ट शत्रुओं के बड़े मोर्चे का लक्ष्य, इस्लामी व्यवस्था को नष्ट करना या भीतर से खोलना करना बताया है।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने सोमवार को व्यवस्था के कुछ अधिकारियों से नौरोज़ की मुलाक़ात में इस्लामी व्यवस्था के गठन और उसकी रक्षा के लिए बहने वाले मूल्यवान ख़ून और बलिदानों की ओर संकेत करते हुए कहा कि इस्लामी व्यवस्था को कमज़ोर करने में दुश्मनों को धूल चटाने के लिए हर प्रकार के प्रयास वास्तव में ईश्वर से सामिप्य प्राप्त करना ही है।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने इस्लामी क्रांति के विभिन्न मंचों पर त्याग व बलिदान के पीछे जनता का मुख्य उद्देश्य, धार्मिक लक्ष्य बताया और कहा कि आज कुछ जवान उन्हीं पवित्र उद्देश्यों और लक्ष्यों के साथ तकफ़ीरी धड़ों से मुक़ाबले और रौज़ों की रक्षा के लिए रणक्षेत्र में जाने पर बल देते हैं और यह त्याग की निशानी और अधिकारियों से जनता के आगे रहने का स्पष्ट चिन्ह है।
उन्होंने ईश्वरीय दूतों के निष्ठापूर्ण प्रयासों का लक्ष्य, धार्मिक व्यवस्था का गठन और सत्य की स्थापना बताया और कहा कि इस्लामी व्यवस्था में इस्लामी नियमों और इस्लामी जीवन शैली को लागू होना चाहिए और समाज के हर वर्ग की संस्कृति, क़ुरआनी शिक्षाओं के अनुसार होनी चाहिए।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने नये वर्ष का नाम प्रतिरोधक अर्थव्यवस्था, पैदावार और रोज़गार रखे जाने की ओर संकेत करते हुए कहा कि पैदावार और रोज़गार के अवसर उपलब्ध कराए जाने के लिए गंभीर निरिक्षण और निरंतर प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। उनका कहना था कि उन उत्पादों पर प्रतिबंध होना चाहिए जिनके चलते ईरानी कारख़ाने बंद हो जाते हैं।