इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा है कि ईरान से अमरीका और ज़ायोनी शासन के विरोध का कारण इस्लाम है।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने मंगलवार को तेहरान में मुसलमान देशों के राजदूतों और देश के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ भेंट में कहा है कि अमरीका और ज़ायोनी शासन, इस्लामी गणतंत्र ईरान का विरोध इसलिए करते हैं क्योंकि वह उनकी मांगों के आगे सिर नहीं झुकाता।
पैग़म्बरे इस्लाम (स) की पैग़म्बरी की घोषणा के दिवस पर आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने कहा कि इस्लामी देशों को यह बात समझनी चाहिए कि अमरीका, एक इस्लामी देश के साथ मित्रता और दूसरे से शत्रुता का उद्देश्य, मुसलमानों की एकता को तोड़ना और उसमें बाधाएं डालना है।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि इस्लाम के नाम पर आतंकवादी गुटों का गठन करके इस्लामी देशों के बीच मतभेद फैलाना, अमरीका और ज़ायोनी शासन का षडयंत्र है। आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने कहा कि विध्वंसकारियों के साथ कुछ क्षेत्रीय देश साज़िश में शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इस काम को आगे बढ़ाने के लिए इस्लामी गणतंत्र ईरान या शिया विचारधारा को अपना शत्रु बता रहे हैं। वरिष्ठ नेता ने कहा कि सबको यह जानना चाहिए कि वर्चस्ववादियों के मुक़ाबले में प्रतिरोध ही इस्लामी जगत की प्रगति का मार्ग है।
उन्होंने कहा कि अमरीका के वर्तमान और पूर्व अधिकारियों द्वारा ईरानी राष्ट्र का विरोध, उनकी भ्रष्ट नियत को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि अमरीकियों ने ईरान को नुक़सान पहुंचाने के लिए हर संभव प्रयास किया किंतु उसे इसमें विफलता ही मिली। वरिष्ठ नेता ने कहा कि जो भी ईरानी राष्ट्र को क्षति पहुंचाने का प्रयास करेगा वह ख़ुद ही घाटा उठाएगा।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने राष्ट्रपति पद के प्रत्याशियों को संबोधित करते हुए उनसे कहा है कि वे लोग जनता को वचन दे कि देश के विकास के लिए विदेश से आस नहीं लगाएंगे।