इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा है कि धर्मविरोधी शक्तियां, पूरे विश्व में इस्लामी पहचान को मिटाने के प्रयास में व्यस्त हैं।
आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने गुरूवार को तेहरान में 83 देशों के क़ारियों से भेंट की। इस भेंट में वरिष्ठ नेता ने पवित्र क़ुरआन को समझने और उसपर अमल करने को इस्लामी राष्ट्र की प्रतिष्ठा का कारण बताया। उन्होंने कहा कि इस समय धर्मविरोधी शक्तियां, पूरी शक्ति के साथ इस्लामी पहचान मिटाने के लिए प्रयास कर रही हैं।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि इस्लामी पहचान, शत्रु के वर्चस्व के फैलने में सबसे बड़ी बाधा है। उन्होंने कहा कि पवित्र क़ुरआन की शिक्षाएं, इस्लामी राष्ट्रों के सार्थक और गौरवपूर्ण जीवन का कारण हैं। आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने कहा कि वर्तमान समय में इस्लामी जगत के बहुत से देशों पर पश्चिम के सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनैतिक वर्चस्व को स्पष्ट रूप में देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि कई इस्लामी देशों के पास इस्लामी पहचान नहीं है। वरिष्ठ नेता ने कहा कि एेसी स्थिति में इस्लाम के शत्रु, एेसे देशों में वर्सचस्व स्थापित करके मुसलमानों के बीच मतभेद पैदा कर रहे हैं।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने कहा कि क़ुरआन से दूरी के कारण शत्रु इसका दुरूपयोग कर रहा है। उन्होंने कहा कि अमरीका और ज़ायोनी शासन के मुक़ाबले में इस समय इस्लामी देशों की स्थिति चिंता जनक है लेकिन यदि इस्लामी पहचान को बाक़ी रखा जाए तो समस्त समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। वरिष्ठ नेता ने कहा कि बड़े खेद की बात है कि बहुत से मुसलमान राष्ट्र, इस्लामी शिक्षाओं से दूर हैं एेसे में पवित्र क़ुरआन की शिक्षाओं का अधिक से अधिक प्रचार और प्रसार किया जाए।