इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने बल दिया है कि रक्षा काल का एक स्थायी पाठ यह रहा है कि अगर ईश्वर पर भरोसा व्यवहारिक रूप से और दिलो व जान से हो तो निश्चित रूप से सभी बाधाओं और चुनौतियों का सामना आस्था के साथ किया जा सकता है।
वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने बुधवार की शाम सेना के कुछ कमांडरों, सैनिकों और कलाकारों से भेंट में अपने भाषण के दौरान, आठ वर्षीय रक्षा काल की घटनाओं के वर्णन और इन घटनाओं को कलात्मक और नये तरीक़ों से नयी पीढ़ी तक पहुंचाने को महत्वपू्र्ण काम बताया।
वरिष्ठ नेता ने बल दिया कि रक्षा काल, मानवीय व भौतिक नुकसान का कारण रहा है किंतु उसके साथ ही वर्तमान और भविष्य के लिए बहुत अच्छे परिणाम भी सामने आए हैं और इससे समाज में क्रांतकारी विचारों की रक्षा हुई।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि अगर समाज में सत्ता व संसार लोभ से दूरी और आध्यात्मिक लक्ष्य की भावना न हो तो तो निश्चित रूप से बाधाएं अधिक होंगी और एेसे समाज में व्यवहारिक रूप से ईश्वर पर भरोसा और बाधाओं को पार करने की शक्ति बहुत महत्वपूर्ण है।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि आज ईरान सभी चुनौतियों के सामने विजय का दावा कर सकता है क्योंकि उसके पास रक्षा काल के दौरान अत्याधिक बाधाओं को पार करने का अनुभव है।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि रक्षा काल के दौरान अमरीका, नेटो, सोवियत संघ और क्षेत्र के रूढ़िवादियों सहत सभी शक्तियां इस्लामी गणतंत्र ईरान के सामने खड़ी थीं, लेकिन इन हालात में भी ईरान इन सभी शक्तियों के सामने विजयी रहा।