रिपोर्ट ढाका ट्रिब्यून न्यूज एजेंसी के अनुसार, इस्लामी सहयोग संगठन के स्थायी मानवाधिकार आयोग ने कल 6 जनवरी को रोहिंगया मुस्लिमों के मानवाधिकारों के बड़े पैमाने पर व्यवस्थित उल्लंघन से संबंधित ऐक बयान जारी करने के साथ अपना विरोध व्यक्त किया।
इस आयोग ने अपने बयान में कहा: रोहिंगया मुसलमानों की स्थित एक संगठित जातीय सफाई को दर्शाती है, जो अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार मानवता के खिलाफ अपराध है और किसी भी तरह इसे रोकना चाहिए।
यान में कहा गया है कि रोहिंगया मुसलमान जो नस्ल, धर्म और मूल के लिए बलि चढ़ रहे हैं, दुनिया में मानव जाति के खिलाफ अपराधों और नस्लीय सफाई का सबसे बुरा उदाहरण है।
इस्लामी सहयोग संगठन के मानव अधिकारों के स्थायी आयोग ने इस बयान में म्यांमार सरकार से मांग की है कि वह रोहंग्या मुसलमानों के खिलाफ हिंसा को तुरंत समाप्त करने और अपराधों के अपराधियों को दंडित करने के लिए निर्णायक कदम उठाए।
इसी तरह रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ भेदभावपूर्ण नीतियों को बदलने और मानवीय सहायता तक उनकी पहुंच को मुम्किन बनाने पर जोर दिया।
ओआईसी के स्थायी मानवाधिकार आयोग ने इसी तरह अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सामान्य और ओआईसी सदस्य देशों से ख़ास तौर पर आग्रह किया है कि म्यांमार पर दबाव के साथ इस देश की सरकार को रोहिंग्या मुसलमानों के बारे में अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून का पालन करने के लिए मजबूर करें।