इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता ने मंगलवार की रात तेहरान में इस्लामी सहयोग संगठन के सदस्य देशों की संसदीय संघ के तेरहवें सम्मेलन में भाग लेने वाले मेहमानों से मुलाक़ात में फ़िलिस्तीन के विषय को इस्लामी जगत का सबसे अहम मुद्दा बताया।
आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई ने फ़िलिस्तीन की रक्षा को सभी का कर्तव्य बताते हुए बल दिया कि इस सोच को मन में जगह नहीं देनी चाहिए कि ज़ायोनी शासन से मुक़ाबले का कोई फ़ायदा नहीं है, बल्कि ईश्वर की कृपा से ज़ायोनी शासन से मुक़ाबले का नतीजा निकलेगा जैसा कि पिछले वर्षों की तुलना में प्रतिरोध के मोर्चे ने सफलता हासिल की है।
फ़िलिस्तीन का विषय ज़ायोनी शासन और मिस्र के बीच साठगांठ के नतीजे में हुए कैंप डेविड समझौते से शुरु हुआ और नॉर्वे में ओस्लो सम्मेलन में फ़िलिस्तीन के साठगांठ करने वाले तत्वों की साठगांठ के ज़रिए आगे बढ़ा। इस बीच अमरीका और इस्राईल फ़िलिस्तीन के विषय को ऊबाने वाला विषय बनाने, प्रतिरोध को कमज़ोर करने और इस्लामी देशों को भीतरी विवादों में उलझाने की कोशिश में लगे रहे।
बैतुल मुक़द्दस के बारे में अमरीका के हालिया एलान की समीक्षा में पश्चिम एशियाई मामलों के विशेषज्ञ सअदुल्लाह ज़ारई का मानना है कि जो कुछ आज हम क्षेत्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देख रहे हैं वह अमरीका और उसके तत्वों की ज़ायोनी शासन की इच्छानुसार फ़िलिस्तीन के मामले को जल्दी से ख़त्म करने की कोशिश है, वह भी ऐसी हालत में जब प्रतिरोध के मोर्चे ने इस्लामी जगत के अहम भाग को अमरीका व ज़ायोनी शासन और उसके क्षेत्रीय तत्वों के वर्चस्व से आज़ाद कराने में निरंतर सफलताएं हासिल की हैं।
इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता के शब्दों में अमरीका बैतुल मुक़द्दस का कुछ भी बिगाड़ नहीं सकता और उसकी कोशिश का कोई नतीजा नहीं निकलेगा।