इस्राईली हिरासत में फ़िलिस्तीनी महिला का हुआ बलात्कार, जांच टीम ने कहा आरोपी अज्ञात!

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इस्राईली हिरासत में फ़िलिस्तीनी महिला का हुआ बलात्कार, जांच टीम ने कहा आरोपी अज्ञात!

एक एसा मामला प्रकाश में आया है जिससे ज़ायोनी शासन की नृशंस प्रवत्ति का एक और आयाम सामने आता है।

इस्राईली पुलिस ने हिरासत में फ़िलिस्तीनी महिला से होने वाले बलात्कार के मामले की दस महीने जांच करने के बाद जांच यह कह कर रोक दी कि आरोपी अज्ञात हैं। हालांकि मामले में यह सुनिश्चित था कि अपराध किस स्थान पर किया गया और किस समय किया गया तथा उस समय उस पुलिस केन्द्र में कौन लोग कार्यरत थे।

फ़िलिस्तीनी महिला ने जब इस मामले की शिकायत की तो उसका लाइ डिक्टेक्टर मशीन से टेस्ट हुआ और देखा गया कि वह सच बोल रही है इसके अलावा भी अनेक साक्ष्य थे जिनसे महिला के साथ होने वाले जघन्य अपराध की पुष्टि होती थी लेकिन इसके बावजूद जांचकर्ताओं ने क्लोज़र रिपोर्ट लगा। इसके लिए यह कारण नहीं बताया गया कि साक्ष्यों में कमी है बल्कि एक अजीब बहाना पेश किया गया कि आरोप अज्ञात व्यक्ति हैं।

यह घटना पांच साल पहले शुरू हुई जब लैला (काल्पनिक नाम) को बैतुल मुक़द्दस में एक चेकपोस्ट के पास गिरफ़तार कर लिया गया फिर उसे पुलिस स्टेशन ले जाया गया। एक कमरे में पूछगछ के बाद महिला को दूसरे कमरे में ले जाया गया जहां जांचकर्ता ने उसका यौन उत्पीड़न शुरू कर दिया। इसके बाद जांचकर्ता कमरे से निकल गया और बार्डर सेक्युरिटी गार्ड की वर्दी में एक सैनिक कमरे आया जिसने महिला के साथ बलात्कार किया। महिला का कहना है कि इसके बाद वह कमरे से भागी और घर जाकर उसने अपने पति को घटना के बारे में बताया। अगले दिन महिला अपने पति के साथ पुलिस स्टेशन पहुंची और इस मामले की शिकायत दर्ज कराई। मामले की जांच आरंभ हुई लेकिन कुछ समय बाद इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। तीन साल तक ख़ामोशी रही जिसके बाद महिला के वकील ने नए सिरे से कोशिश शुरू की और घटना की तह तक जाने की कोशिश की। वकील की भाग दौड़ के बाद पता चला कि जांच इस लिए रोक दी गई कि आरोपी अज्ञात हैं।

जांच पुनः शुरू हो गई और लैला ने उस व्यक्ति को पहचान भी लिया जिसने उसके साथ बलात्कार किया था और किसने उसका यौन उत्पीड़न किया था। मगर किसी भी आरोपी को कोई सज़ा नहीं मिली। पुलिस अधिकारियों का रवैया इस प्रकार का है जैसे कोई ख़ास बात नहीं हुई है।

ज़ायोनी शासन की नीतियां और कार्यवाहियां एसी हैं जिनसे फ़िलिस्तीनियों के भीतर भारी आक्रोश है जो लगातार बढ़ता जा रहा है।

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