इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने अपने एक अहम बयान में इस बात से पर्दा उठाया है कि अमरीका, दाइश के आतंकियों को अफ़ग़ानिस्तान क्यों पहुंचा रहा है?
आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने मंगलवार को धर्मशास्त्र के अपने पाठ के आरंभ में अफ़ग़ानिस्तान में हालिया आतंकी हमलों में निर्दोष लोगों के जनसंहार पर गहरा दुख प्रकट करते हुए कहा है कि अमरीका, दाइश के आतंकवादियों को अफ़ग़ानिस्तान पहुंचा कर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति का औचित्य प्रदान करना और ज़ायोनी शासन की सुरक्षा को सुनिश्चित बनाना चाहता है। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने दाइश को अस्तित्व प्रदान करके उसे सीरिया व इराक़ की जनता पर अत्याचार व अपराध का माध्यम बनाया था, आज वही हाथ उस क्षेत्र में पराजय के बाद दाइश को अफ़ग़ानिस्तान पहुंचाने के चक्कर में हैं और हालिया जनसंहार वस्तुतः इसी षड्यंत्र का आरंभ है।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा कि अमरीका समर्थित आतंकियों के लिए शिया व सुन्नी में कोई अंतर नहीं है और केवल आम नागरिक उनका लक्ष्य हैं चाहे वे शिया हों या सुन्नी। आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने कहा कि अमरीका चाहता है कि इस क्षेत्र में शांति व ख़ुशहाली न हो और यहां के राष्ट्र और सरकारें एक दूसरे से भिड़ी रहीं ताकि वे साम्राज्य के दुष्ट एजेंट यानी ज़ायोनी शासन से मुक़ाबले के बारे में सोचने ही न पाएं। उन्होंने कहा कि अशांति स्थापति करने में अमरीका का अगला लक्ष्य क्षेत्र में अपनी उपस्थिति का औचित्य दर्शाना है और अफ़ग़ानिस्तान में अशांति का मूल कारण अमरीका ही है। उन्होंने कहा कि पिछली बीस साल से अफ़ग़ानिस्तान में धर्म के नाम पर जो जनसंहार हो रहे हैं वे प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से अमरीका के पिट्ठुओं ने ही किए हैं।