अमरीकी व ज़ायोनी धावे के मुक़ाबले में ईरानी राष्ट्र की दृढ़ता का राज़ वरिष्ठ नेता की नज़र में ...

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अमरीकी व ज़ायोनी धावे के मुक़ाबले में ईरानी राष्ट्र की दृढ़ता का राज़ वरिष्ठ नेता की नज़र में ...

इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली ख़ामेनई ने ईश्वर पर आस्था और उससे डर को अमरीकी और ज़ायोनी धावे से मुक़ाबले में ईरानी राष्ट्र की दृढ़ता का राज़ बताया।

गुरुवार को इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता का चयन करने वाली असेंब्ली के अध्यक्ष व सदस्यों ने तेहरान में आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई से मुलाक़ात की जिसमें वरिष्ठ नेता ने अमरीका और ज़ायोनीवाद के सांस्कृतिक, राजनैतिक, वित्तीय, सैन्य व सुरक्षा की दृष्टि से बड़े मोर्चे से निपटने में ईरान की दृढ़ता का स्रोत ईरानी जनता व जवान नस्ल में ईश्वर पर आस्था और उसका डर बताया।

उन्होंने सत्य के मोर्चे के प्रति ईश्वर के साथ को निश्चित वादा और इसी वादे को सत्य के मोर्चे के लिए ख़ुशी की वजह बताते हुए बल दिया कि ईश्वर के इस निश्चित वादे के पूरा होने की शर्त यह है कि धर्मगुरु, व्यवस्था के अधिकारी और शिक्षा व प्रचार तंत्र ईश्वर पर आस्था रखने वाले समाज के प्रशिक्षण के अपने कर्तव्य को निभाए और वह ख़ुद भी ईश्वर पर आस्था को अपने व्यवहार से साबित करे, मेहनत करे, दृढ़ता दिखाए और रईसाना ज़िन्दगी से दूरे रहे।

आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई ने दुश्मन के चौतरफ़ा धावे के मद्देनज़र ईरान के सामने राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक व सुरक्षा की नज़र से संघर्ष को सख़्त बताते हुए कहा कि एकेश्वरवाद, सामाजिक न्याय, अत्याचार से संघर्ष, पीड़ितों का समर्थन सहित इस्लामी व्यवस्था की आकांक्षाएं और इस्लामी गणतंत्र के वजूद के कारण धर्म के दुश्मन धावा बोलते हैं और ऐसा पूरे इतिहास में हमेशा से होता आया है कि सत्य के मोर्चे के मुक़ाबले में असत्य का मोर्चा होता है और पवित्र क़ुरआन की अनेक आयतों में भी इसका वर्णन है।

वरिष्ठ नेता ने सत्य-असत्य के बीच निरंतर मुक़ाबले में सत्य की जीत के ईश्वर के निश्चित वादे का उल्लेख करते हुए कहा कि इस वादे के पूरा होने के लिए शर्त यह है कि ईश्वर पर आस्था रखने वाले सच्ची नियत, धैर्य, जागरुकता, साहस और दृढ़ता का परिचय दें कि इन शर्तों के पालन से इस वादे का पूरा होना अटल ईश्वरीय परंपरा है।    

 

 

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