तेहरान के इमामे जुमा ने जुमे की नमाज़ के ख़ुतबों में कहा है कि दुश्मन, राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से इस्लामी व्यवस्था को नुक़सान पहुंचाने की साज़िश रच रहा है।
आयतुल्लाह मोहम्मद इमामी काशानी का कहना था कि इस्लामी व्यवस्था के दुश्मन, न्यायपालिका, संसद और सुरक्षा बलों को नुक़सान पहुंचाना चाहता है, इसलिए पूरे राष्ट्र को चाहिए कि मिलकर इस साज़िश का मुक़ाबला करे।
आयतुल्लाह काशाना ने कहा, आध्यात्मिकता में शांति व ईश्वर की इबादत शामिल है और यह ईश्वर की महत्वपूर्ण अनुकंपा है।
उन्होंने कहा कि अधिकारियों को चाहिए कि वे लोगों की आर्थिक समस्याओं का समाधान निकालें।
ईरान के एक वरिष्ठ धर्मगुरु, ग़ुलाम रज़ा मिसबाही मुक़द्दम ने जुमे की नमाज़ से पहले अपने भाषण में कहा, कुछ क्षेत्रीय देश हर वर्ष विश्व की बड़ी शक्तियों से अरबों डॉलर के हथियार ख़रीदते हैं, इसके बावजूद, ईरानी सेना और आईआरजीसी ने रक्षा क्षेत्र में असामान्य प्रगति की है और विश्व की बड़ी शक्तियों को हैरान कर दिया है।