इस्राईल को मान्यता देना सऊदी सरकार का बहुत बड़ा कलंक,

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इस्राईल को मान्यता देना सऊदी सरकार का बहुत बड़ा कलंक,

तेहरान की केन्द्रीय नमाज़े जुमा के इमाम आयतुल्लाह सैयद अहमद ख़ातेमी ने कहा कि ज़ायोनी शासन को मान्यता देना सऊदी अरब की सरकार के लिए बहुत बड़ा कलंक का टीका है।

तेहरान की केन्द्रीय नमाज़े जुमा के इमाम आयतुल्लाह सैयद अहमद ख़ातेमी ने नमाज़े जुमा के ख़ुतबों में कहा कि अतीत में ग़ज़्ज़ और लेबनान पर ज़ायोनी शासन के हमले सऊदी अरब के पैसे और प्रोत्साहन से हुए थे। उन्होंने कहा कि किसी सक्षम इस्लामी न्यायालय सऊदी अरब के ख़िलाफ़ मुक़द्दमा चलाया जाना चाहिए और तकफ़ीरी आतंकी संगठन दाइश, का समर्थन करने और बेगुनाहों का ख़ून बहाने के मामले में उसे दंडित किया जाना चाहिए।

तेहरान की केन्द्रीय नमाज़े जुमा के इमाम ने कहा कि सऊदी अरब ज़ायोनी शासन के अपराधों में पूरी तरह शामिल है, इराक़ और लेबनान के चुनावों में हस्तक्षेप के लिए सऊदी सरकार ने करोड़ों डालर ख़र्च किए लेकिन आज देखने में यही आ रहा है कि सऊदी सरकार पतन की ढलान पर आगे बढ़ रही है।

आयतुल्लाह सैयद अहमद ख़ातेमी ने ज़ायोनी शासन के अपराधों तथा उसके हाथों उन फ़िलिस्तीनी प्रदर्शनकारियों के जनसंहार का हवाला दिया जो अपने छिने हुए इलाक़ों में वापस जाने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे, उन्होंने कहा कि ज़ायोनी शासन की प्रवृत्ति की ख़ूंख़ार है और ज़ायोनियों को शक्ति और प्रतिरोध के अलावा कोई भाषा समझ में नहीं आती।

तेहरान की केन्द्रीय नमाज़े जुमा के इमाम ने ज़ायोनी शासन से फ़िलिस्तीनियों की अतीत की वार्ताओं का हवाला देते हुए कहा कि इन वार्ताओं से फ़िलिस्तीनियों को निर्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला है अतः अतिग्रहणकारी ज़ायोनी शासन से वार्ता की बात करना स्ट्रैटेजिक ग़लती ही नहीं एक अपराध है।

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