17 अप्रैल को फ़िलिस्तीन में बंदी दिवस मनाया जाता है और ज़ायोनी शासन की जेलों में बंद फ़िलिस्तीनी बंदियों के साथ समरसता जताई जाती है।
इस्राईल की जेलों में फ़िलिस्तीनी बंदी अत्यंत दयनीय जीवन बिताते हैं और उन्हें बड़ी अमानवीय स्थिति में क़ैद रखा जाता है। फ़िलिस्तीनी बंदियों को इस्राईल की जेलों में जो अमानवीय यातनाएं दी जाती हैं उनमें से कुछ का हम उल्लेख कर रहे हैंः
- क़ैदियों का यौन शोषण और बलात्कार की धमकी
- घूंसे मारना और राइफल के बट से कूटना
- बंदियों को मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल करना
- कै़दियों को जानवरों की आवाज़ निकालने पर मजबूर करना
- सर्दी और गर्मी में घंटों क़ैदियों को खुले में रखना
- क़ैद करने के बाद लोगों को लातों से मारना
- बंदियों को गंदी गंदी गालियां देना
- बुरी तरह से झिंझोड़ना
- क़ैदियों को घंटों घंटों उंगलियों के बल खड़ा रखना
- बंदियों की ज़ंजीरों को ज़ोर से घसीटना
- लम्बे समय तक क़ैदियों को सोने न देना
- बदबूदार थैली से क़ैदियों का सिर बांधना
- ऊंची आवाज़ में संगीत सुनने पर विवश करना
- क़ैदी के शरीर पर सिगरेट बुझाना
- महीनों तक बंदी को नहाने न देना
- बेहोश होने तक इलेक्ट्राॅनिक शाॅक लगाते रहना
- परिजनों से मिलने से पहले निर्वस्त्र करके तलाशी लेना
- महिला बंदियों को अपने बच्चों से न मिलने देना
इस्राईल की जेलों में बंद फ़िलिस्तीन की महिला बंदियों की एक सबसे बड़ी समस्या, गर्भवती क़ैदियों की हैं जिन्हें जेल के अंदर बच्चे को जन्म देना होता है। इसी संबंध में एक दूसरी समस्या यह है कि बच्चे के दो साल पूरे हो जाने पर उसे जेल से निकाल दिया जाता है और फिर महिला बंदी अपने बच्चे से बहुत मुश्किल से मिल पाती है।