इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने तेहरान के आज़ादी स्टेडियम में स्वयं सेवी बलों के एक लाख से अधिक लोगों के भव्य समूह को संबोधित किया।
वरिष्ठ नेता ने तेहरान के आज़ादी स्टेडियम में स्वयं सेवी बल बसीज के एक लाख से अधिक कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान की शक्ति केवल एक नारा नहीं बल्कि एक वास्तविकता है और दुनिया का हर न्यायप्रिय व्यक्ति, ईरानी राष्ट्र की महानता को स्वीकार करता है जबकि दुश्मन ईरान की वैज्ञानिक और तकनीकी क्षेत्रों में प्रगति से बहुत अधिक परेशान हैं।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा कि ईरान ने आठ वर्षीय थोपे गये युद्ध में बड़ी शक्तियों को विफलता और पराजय का स्वाद चखाया। इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने विशाल जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि इस बड़ी बैठक बहुत ही संवेदनशील हालत में आयोजित हुई है। क्षेत्र और दुनिया के हालात बहुत ही संवेदनशील है विशेषकर हमारे ईरानी राष्ट्र के लिए स्थिति बहुत ही संवेदनशील है।
वरिष्ठ नेता का कहना था कि संवेदनशीलता इस दृष्टि से है कि एक ओर अमरीकी राजनेताओं और साम्राज्यवादियों की चीख़ पुकार तथा दूसरी ओर विभिन्न क्षेत्रों और मैदानों में मोमिन युवाओं का शक्ति प्रदर्शन, एक ओर देश की आर्थिक समस्याएं और जनता की वित्तीय परेशानियां और दूसरी ओर देश के बुद्धिजीवी वर्ग के इन हालात से संवेदनशील होने के कारण वैचारिक व व्यवहारिक प्रयास करने पर उन्हें विवश कर दिया है।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा कि आज मेरे भाषण का संक्षेप यह है कि पहले ईरान की महानता है, दूसरे इस्लामी गणतंत्र ईरान की शक्ति और तीसरा ईरानी राष्ट्र का अजेय होना है। उनका कहना था कि यह कोई अतिश्योक्ति नहीं है, यह केवल कोई नारा नहीं है, यह कोई खोखला या बेकारा का दावा नहीं है जो कुछ लोग करते हैं। यह वह वास्तविकताएं हैं कि ईरानी राष्ट्र के दुश्मन कामना करते हैं कि हमें इसके बारे में पता न चले या इससे निश्चेत रहें किन्तु यह बात सबसे स्पष्ट है जिसका कोई इन्कार कर सकता है।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा कि मैंने ईरान की महानता और वैभवता की बात कही है तो यह केवल वर्तमान समय में नहीं बल्कि ईरान की महानता एक ऐतिहासिक बात है। उन्होंने कहा कि हमारे प्यारों ने विज्ञान, दर्शनशास्त्र, राजनीति, कला और ह्यूमनीटीज़ के क्षेत्र में राष्ट्रीय ध्वज लहराया, दुनिया के राष्ट्रों और मुस्लिम देशों के बीच राष्ट्र का सिर ऊंचा दिया, यह चीज़ हमारे काल से और इतिहास से जुड़ी हुई है।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने इस्लामी लोकतंत्र की शक्ति के बारे में कहा कि ईरान की शक्ति यही है कि उसने देश को अमरीका और ब्रिटेन के वर्चस्व से निकाल दिया, उस वर्चस्व से निकाल दिया जो 19वीं शताब्दी के आरंभ से शुरु हुआ था और देश के समस्त मामलों पर निर्दयी विदेशी छाए हुए थे। इस्लामी गणतंत्र की यही शक्ति है कि उसने देश को अत्याचारी वर्चस्व से मुक्ति दिला दी।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि सबसे पहले इस्लाम है, अमरीका, इस्लाम से तमाचा खा चुका है और उसे इस्लाम से द्वेष और ईर्ष्या है। अमरीका, इस्लामी क्रांति से मुंह की खा चुका है, देश के समस्त मामले उन्हीं के हाथों में थे, देश के स्रोत उन्हीं के पास थे, देश की पूंजी उनकी मर्ज़ी से इधर उधर होती थी, देश की सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनैतिक नीतियां उन्हीं के हिसाब से तैयार होती थीं, उनके हाथ काट दिए गये, यह काम इस्लाम ने किया।