लखनऊ की तारीखी शाह नजफ़ इमामबाड़े, हज़रतगंज में रात 9 बजे अशरे का इनकाद किया गया है जिसको मौलाना अली अब्बास खान साहब ख़िताब मौलाना ने फरमाया,इंसान निजाम ए इलाही को पहचाने और अपनी ज़िम्मेदारी को पहचाने इलाही नुमाइन्दे इंसान की रूहानी तरक्की के लिए आए थे, दुनियावी तरक्की इंसान खुद कर सकता है लेकिन एक अच्छा इंसान नहीं बन सकता।
हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,लखनऊ, 8 जुलाई 2024 | लखनऊ की तारीखी शाह नजफ़ इमामबाड़े, हज़रतगंज में रात 9 बजे अशरे का अनेकाद किया गया है जिसको मौलाना अली अब्बास खान साहब ख़िताब कर रहे हैं, ये अशरा पिछले 8 सालों से मौलाना ख़िताब कर रहे हैं।
अशरे की पहली मजलिस को क़ारी रजा हुसैन साहब ने तिलावत ए कुरान से आगाज़ किया और फिर मोहम्मद हुसैन साहब ने अशआर पेश किए और फिर सैयद अली शुजा साहब ने पुर दर्द मर्सिया पेश किया और मौलाना अली अब्बास खान साहब ने मजलिस को खि़ताब करते हुए फरमाया के इंसान निजाम ए इलाही को पहचाने और अपनी ज़िम्मेदारी को पहचाने।
इलाही नुमाइन्दे इंसान की रूहानी तरक्की के लिए आए थे, दुनियावी तरक्की इंसान खुद कर सकता है लेकिन एक अच्छा इंसान नहीं बन सकता, इंसान अभी तक इलाही नुमाइन्दे की सारी बातें नहीं समझ पाया आज तक अगर उसकी अक्ल समझ में आ जाएगी तो वो दुनिया के साथ साथ मानवी तरक्की करेगा। आखिर में अज़ादार इमाम हुसैन को याद करके अश्कबार हो गए।