बांग्लादेश में पिछले एक महीने से चल रहे छात्र आंदोलनों के बाद शेख़ हसीना सरकार गिर चुकी है वह देश छोड़ कर जा चुकी है। कहा जा रहा है कि यह आंदोलन का परिणाम है, लेकिन करीब से देखने पर इसके और पहलू भी नजर आ रहे हैं। यह यकीन करना मुश्किल है कि किसी देश में निहत्थे आंदोलनकारियों ने एक संपन्न सरकार को एक महीने से भी कम समय में उखाड़ फेंका। पिछले कुछ सालों के घटनाक्रम पर नजर डालें तो मालूम पड़ता है कि बांग्लादेश पर अमेरिका की पैनी नजर रही है।
शेख हसीना के तख्तापलट से अमेरिका खुश नजर आ रहा है। हसीना सरकार पहले ही आरोप लगा चुकी है कि अमेरिका देश में अपना एक मिलिट्री बेस चाहता है। अमेरिका ने इसी साल हुए बांग्लादेश चुनाव में भी कई सवाल खड़े किए थे। बांग्लादेश संकट में अब अमेरिका के हाथ होने की भी बात सामने आ रही है।
शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद अमेरिका के विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा, “अमेरिका बांग्लादेश के लोगों के साथ खड़ा है।” अमेरिका ने हसीना के इस्तीफे का स्वागत किया और अंतरिम सरकार के गठन के लिए सभी पार्टियों को आगे आने का आग्रह किया।
अमेरिकी विदेश विभाग का ये बयान चौंकाता है क्योंकि एक प्रधानमंत्री का इस तरह से तख्तापलट होना, लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ माना जाता है।