लोरिस्तान" विश्वविद्यालय के कुलपति का मानना है कि अरबईन या इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के चेहलुम में प्रयास व पैदल चलना इस्लामी जगत की एकता का केन्द्र बिन्दु है।
"लोरिस्तान" विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर अली नज़री अरबईन को इस्लामी जगत की एक बहुत बड़ी आध्यात्मिक रैली व झलक मानते हैं।
डॉक्टर अली नज़री ने इस्ना समाचार एजेन्सी से वार्ता में अरबईन के कुछ पहलुओं पर प्रकाश डाला और इराक़ के पवित्र नगर कर्बला जाने वाले इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के श्रद्धालुओं की यात्रा की ओर संकेत करते हुए कहा
अरबईन वह यात्रा है जो दिलों के क़दमों से आरंभ होती है और श्रद्धालु हर क़दम को इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के प्रेम और श्रद्धा में उठाते हैं।
उन्होंने बल देकर कहा कि अरबईन का मिलियन्स मार्च इस्लामी जगत की इज़्ज़त व प्रतिष्ठा का कारण है। उन्होंने कहा कि इस आध्यात्मिक मिलियन्स मार्च में विभिन्न राष्ट्रों के लोगों की भारी उपस्थिति से दुश्मन भयभीत हो जाते हैं और दुश्मनों की पूरी कुचेष्टा इस अपार उपस्थिति को महत्वहीन दर्शाना होता है मगर जो चीज़ स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है वह कर्बला के मार्ग में लाखों की श्रद्धालुओं की अपार उपस्थिति है।
वह आगे कहते हैं
अरबईन के मिलियन्स मार्च में हर समय से अधिक फ़िलिस्तीन और ग़ज़ा पट्टी के मज़लूम लोगों के प्रति समर्थन दिखाई दे रहा है। श्रद्धालुओं के हाथों में प्रतिरोध के शहीदों की तस्वीरें और फ़िलिस्तीनी परचम है इस प्रकार से वे मज़लूमों के प्रति अपने समर्थन को विश्ववासियों तक पहुंचा रहे हैं।
लोरिस्तान विश्वविद्यालय के कुलपति आगे कहते हैं कि अरबईन का मिलियन्स मार्च इस्लामी जगत की एकता का केन्द्र बिन्दु है।
दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों व देशों के लोग आते और अरबईन के मिलियन्स मार्च में शामिल होते हैं जो यह इस बात का सूचक है कि एकता का केन्द्र बिन्दु सय्यदुश्शोहदा इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम हैं।
उन्होंने इस्लाम के दुश्मनों के मुक़ाबले में अरबईन के आध्यात्मिक मिलियन्स मार्च की भूमिका की ओर संकेत करते हुए कहा कि इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के पावन लहू में वह गर्मी है जो इस यात्रा की गर्म हवाओं और दूसरी समस्त कठिनाइयों को बर्दाश्त करने को सरल बना देती है। यह यात्रा न केवल महामुक्तिदाता की सेना में शामिल होकर युद्ध करने का अभ्यास है बल्कि दुश्मन के ख़िलाफ़ एक प्रकार का व्यापक युद्ध है।
नज़री कहते हैं कि दुनिया में एकता का संदेश अरबईन के मिलियन्य मार्च से जाता है और इराक़ के पवित्र नगर नजफ़ से पवित्र नगर कर्बला का 80 किलोमीटर का रास्ता एकता की बेजोड़ झलक व उदाहरण पेश करता है। अरबईन का मिलियन्य मार्च इराक़ी शियों के परित्याग का जीवंत प्रमाण है। वे इराक़ जाने वाले इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के श्रद्धालुओं का पूरी तनमयता से आतिथ्य सत्कार करते हैं और वे अपना सब कुछ इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के श्रद्धालुओं की सेवा में हाज़िर कर देते हैं।
लोरिस्तान विश्व विद्यालय के कुलपति अंत में कहते हैं
अरबईन के मिलियन्य मार्च की भव्यता को देखकर दुश्मन क्रोधित हो गये हैं। महान ईश्वर ने कहा है कि मुसलमानों को उस रास्ते में होना चाहिये जिससे दुश्मन क्रोधित हो जायें और दुश्मनों के मुक़ाबले में अरबईन का मिलियन्स मार्च इस्लामी जगत की ताक़त व शक्ति का स्पष्ट उदाहरण है।
अरबईनः अरबी भाषा में अरबईन शब्द का अर्थात चालिस है और इस्लामी परिभाषा में एक धार्मिक कार्यक्रम व समारोह है जो आशूर के बाद 20 सफ़र को होता है। यह वह दिन होता है जब इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके वफ़ादार साथियों को शहीद हुए 40 दिन हो जाते हैं।
इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के चाहने वाले 20 सफ़र को इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम पावन रौज़े की ज़ियारत के लिए पवित्र नगर कर्बला जाते व यात्रा करते हैं।
सन् 61 हिजरी क़मरी में अबूसुफ़यान बिन मोआविया बिन यज़ीद के राक्षसी सैनिकों ने इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके 72 वफ़ादार साथियों को तीन दिन का भूखा-प्यास शहीद कर दिया था। आज अरबईन के निकट इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के बहुत से चाहने वाले लोग पैदल कर्बला की ओर जाते हैं और अरबईन का मिलियन्स मार्च दुनिया का एक बहुत बड़ा समारोह है और कुछ साल मिलियन्स मार्च में भाग लेने वालों की संख्या दो करोड़ लोगों से भी अधिक हो जाती है।