ज़ायोनी संचार माध्यमों ने चिंता जताने के साथ लेबनान के हिज़्बुल्लाह की सैनिक शक्ति को स्वीकार किया और कहा है कि लेबनान के हिज़्बुल्लाह ने इस्राईल के गुप्त ठिकानों की पहचान कर ली है।
ज़ायोनी संचार माध्यमों ने कहा है कि उत्तरी मोर्चे पर ड्रोन चुनौतियों में भारी वृद्धि हो गयी है। इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि हिज़्बुल्लाह ने हस्ती क़ीमत वाले ड्रोनों से इस्राईल के गोपनीय ठिकानों की पहचान कर ली है।
ड्रोनों ने इस्राईल के सैनिक ठिकानों को लक्ष्य बनाने के लिए हिज़्बुल्लाह को बड़ी शक्ति प्रदान कर दी है।
ज़ायोनी संचार माध्यमों की स्वीकारोक्ति के अनुसार हिज़्बुल्लाह के पास इस बात की ताक़त है कि वह अपने ड्रोनों को सटीकता और अविश्वनीय तरीक़े से इस्राईल के गोपनीय ठिकानों तक पहुंचा सकता है।
इसी बीच हिज़्बुल्लाह ने शनिवार की रात को एक बयान जारी करके बताया था कि उत्तरी अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन में उसने तोपों से हमला किया था।
हिज़्बुल्लाह द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध के संघर्षकर्ताओं ने फ़िलिस्तीन और ग़ज़ा के मज़लूमों के समर्थन में तोपों से हर्श शतूला में ज़ायोनी सैनिकों के एकत्रित होने के ठिकाने को लक्ष्य बनाया।
ज़ायोनी सरकार ने सात अक्तूबर 2023 को पश्चिमी सरकारों के व्यापक समर्थन से ग़ज़ा पट्टी और पश्चिमी किनारे पर फ़िलिस्तीन के मज़लूम लोगों के ख़िलाफ़ युद्ध और नरसंहार आरंभ कर रखा है। इसके मुक़ाबले में ग़ज़ा, लेबनान, यमन और सीरिया में प्रतिरोधक गुटों ने एलान कर रखा है कि वे ज़ायोनी सरकार के अपराधों का बदला लेकर रहेंगे।
अंतिम रिपोर्ट के अनुसार ज़ायोनी सरकार के हमलों में अब तक 40 हज़ार से अधिक फ़िलिस्तीनी शहीद और 92 हज़ार से अधिक घायल हो चुके हैं।
ज्ञात रहे कि वर्ष 1917 में ब्रिटेन की साम्राज्यवादी सरकार ने ज़ायोनी सरकार के ढांचे को तैयार कर दिया था और विश्व के विभिन्न देशों के यहूदियों को लाकर अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन में बसा दिया गया। इस प्रकार से कि ज़ायोनी सरकार ने वर्ष 1948 में अपने अवैध अस्तित्व की घोषणा कर दी और तब से लेकर आजतक विभिन्न बहानों से फ़िलिस्तीनियों की हत्या, जनसंहार और उनकी ज़मीनों पर क़ब्ज़ा जारी है