इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने कहा है कि शायरों व कवियों को सत्य के मोर्चे का समर्थक होना चाहिए।
पैग़म्बरे इस्लाम सलल्लाहो अलैह व आलेही व सल्लम के बड़े नाती हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम के शुभ जन्म दिवस के अवसर पर विश्व तथा ईरान के शायरों और कवियों ने वरिष्ठ नेता से भेंट की। इस भेंट में वरिष्ठ नेता ने शायरों व कवियों को हज़रत इमाम हसन के शुभ जन्म दिवस की बधाई दी और कहा कि शायरों पर बड़े दायित्वों के निर्वाह की भूमि प्रशस्त करने की अद्वितीय ज़िम्मेदारियां हैं। वरिष्ठ नेता ने कहा कि शायरों को दुनिया के साम्राज्यवादी मोर्चे के षड्यंत्रों के मुक़ाबले में सत्य के मोर्चे की रक्षा करनी चाहिए। इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता ने कहा कि क्रांतिकारी शेर, वह शेर होते हैं जो क्रांति के लक्ष्यों की सेवा अर्थात न्याय, मानवता, एकता, राष्ट्रीय गौरव, बहुपक्षीय विकास और मनुष्य के निर्माण के लिए हो।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने देश के दरदश्त क्षेत्र में सद्दाम शासन की ओर से की गई रासायनिक बमबारी की बरसी की ओर संकेत किया और कहा कि शायर और कवियों ने पूरी दुनिया में ईरानी राष्ट्र पर होने वाले अत्याचार को प्रतिबिंबित किया। उन्होंने कहा कि दुनिया का मीडिया जो अमरीका, ब्रिटेन और ज़ायोनियों के वर्चस्व में है, कभी तो एक जानवर के मारे जाने पर हंगामा खड़ा कर देता है किन्तु इसके मुक़ाबले में दुनिया में होने वाले विभिन्न अपराधों विशेषकर हालिया दिनों में यमन पर जारी पाश्विम बमबारी तथा पिछले वर्ष ग़ज़्ज़ा और लेबनान पर हुए हमलों पर मौन धारण किए रहता है।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि यह बहुत अच्छी बात है कि वर्तमान परिवर्तनों और घटनाओं पर युवा शायरों की ओर से त्वरित प्रतिक्रिया सामने आती है।