भारी दबाव का सामना करते हुए सुरक्षित रहे क्रान्ति के सिद्धांत

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भारी दबाव का सामना करते हुए सुरक्षित रहे क्रान्ति के सिद्धांत

ईरान की इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई ने कहा कि भारी दबावों का सामना होने के बावजूद इस्लामी क्रान्ति अपने मूल लक्ष्यों और सिद्धांतों के आधार पर अपने स्थाइत्व को सुरक्षित रखने में सफल रही है।

उन्होंने शनिवार को धार्मिक शहर क़ुम से तेहरान आने वाले हज़ारों लोगों से मुलाक़ात में कहा कि इस्लामी क्रान्ति की मज़बूती, जनता का चैन व सुकून और शत्रुओं के षड्यंत्रों की नाकामी जनता और अधिकारियों की चेतना से ही संभव है।

आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई ने कहा कि वर्ष 2009 के राष्ट्रपति चुनावों के बाद अमरीकी इस कोशिश में लग गए थे कि कुछ देशों में चुनावों की आड़ में सफल होने वाली अपनी साज़िशों को ईरान में भी दोहराएं और कम वोट पाने वाले धड़े को बहुत बढ़ा चढ़ाकर पेश करके तथा उसकी आर्थिक व राजनैतिक सहायता करके चुनावों के परिणामों को उलट दें लेकिन जनता की भरपूर उपस्थिति के कारण ईरान में शत्रुओं का रंगीन इंक़ेलाब विफल हो गया।

इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता का कहना था कि चुनावों में जनता की भरपूर भागीदारी इस्लामी व्यवस्था की मज़बूती, सुरक्षा का माहौल जारी रहने और विश्व में ईरानी जनता तथा इस्लामी लोकतांत्रिक व्यवस्था की प्रतिष्ठा में वृद्धि का कारण बनेगी। आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई ने कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान को अमरीका, ज़ायोनी शासन तथा दाइश सहित आतंकी तत्वों पर आधारित बड़े शत्रु मोर्चे का सामना है। उन्होंने कहा कि शत्रुओं ने इस्लामी क्रान्ति के मज़बूत वृक्ष को उखाड़ देने पर अपने सारे प्रयास केन्द्रित कर दिए हैं अतः जनता को चाहिए कि इन योजनाओं को नाकाम बना दे।

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