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हज़रत इमाम हसन असकरी अ.स. जुरजान का सफर

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हज़रत इमाम हसन असकरी अ.स. जुरजान का सफर

हज़रत इमाम हसन असकरी अ.स का 3 रबीउस्सानी, 255 हिजरी में जुरजान तशरीफ ले गए वहां के लोगों के सवालों के जवाब के साथ-साथ बीमारियों में मुबतेला लोगों को शिफा दी।

मुहद्दिस क़ुत्बुद्दीन रावंदी ने अपनी किताब अलख़राइज़ वलजराइह में जाफ़र बिन शरीफ़ जुरजानी से नक़्ल किया कि उन्होंने बयान किया:मैं एक साल हज पर गया तो उस से पहले सामर्रा में इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम की ख़िदमत में हाज़िर हुआ। मेरे ज़रिये शियों ने इमाम अ.स. की ख़िदमत में काफी माल व असबाब भेजा था। इस से पहले कि मैं आप अ.स. से पूछता कि इसे किसको दूँ, आप अ.स. ने फ़रमाया: मेरे ग़ुलाम मुबारक को दे दो।

मैंने आपके हुक्म के मुताबिक़ अमल किया और अरज़ किया कि जुरजान के शियों ने आपको सलाम कहलाया है। आप अ.स. ने पूछा: क्या हज के बाद जुरजान वापस जाओगे? मैंने अरज़ किया: जी हाँ। तो इमाम अ.स. ने फ़रमाया: तुम एक सौ सत्तर (170) दिन बाद जुरजान पहुँचोगे। तुम माह रबीउल-सानी की तीसरी तारीख़, रोज़ जुमआ सुबह में जुरजान पहुँचोगे।

मेरे शियों से कहना कि मैं भी उसी रोज़ दिन ढलने से पहले वहाँ आऊँगा। जाओ, ख़ुदा तुम्हें और जो कुछ तुम्हारे पास है उसे महफ़ूज़ रखे। जब तुम अपने घर वापस पहुँचोगे तो तुम्हें मालूम होगा कि तुम्हारे बेटे शरीफ़ के यहाँ एक बेटा पैदा हुआ है। उसका नाम “सलत” रखना, अल्लाह उसे अज़मत व बुज़ुर्गी अता करेगा और वह हमारे शीयों में से होगा।

मैंने अरज़ किया कि इब्राहीम बिन इस्माईल जुरजानी आपके शियों में हैं, वह आपके चाहने वालों के साथ नेक़ी से पेश आते हैं, हर साल अपने माल से एक लाख दिरहम उनको अता करते हैं।
इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया: ख़ुदा इब्राहीम बिन इस्माईल को हमारे शियों के साथ नेक सुलूक करने पर जज़ा ए ख़ैर दे, उनके गुनाहों को माफ़ करे और अल्लाह उन्हें एक सहीह व सालिम बेटा अता करेगा जो हक़ बोलेगा। उनसे कहना कि (इमाम) हसन बिन अली (असकरी अलैहिस्सलाम) ने कहा है कि अपने बेटे का नाम “अहमद” रखें।

मैं इमाम अ.स. से रुख़्सत हुआ और अरकान-ए-हज की अदायगी के बाद रोज़ जुमा 3 रबीउस्सानी सन 255 हिजरी को जुरजान पहुँचा। रिश्तेदार, दोस्त व अहबाब और मोमिनीन मुझसे मुलाक़ात और हज की मुबारकबाद देने आए, तो मैंने उनसे कहा कि हमारे मौला व आक़ा हज़रत इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया था कि आज दिन ढलने से पहले वह यहाँ तशरीफ लाएँगे, लिहाज़ा आप लोग उनकी ज़ियारत, अपने सवालात के जवाब और हाजतों की बरआवरी के लिए तैयार रहें।

सब लोग नमाज़ ज़ुहरैन अदा करके मेरे घर में इकट्ठा हो गए। अभी थोड़ी देर न गुज़री थी कि इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम तशरीफ लाए और आपने हमें सलाम किया। हम सबने आपका इस्तक़बाल किया और दस्तबूसी का शरफ़ हासिल किया।

इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया: मैंने जाफ़र बिन शरीफ़ से वादा किया था कि आज दिन ढलने से पहले यहाँ आऊँगा। सामर्रा में नमाज़ ज़ुहरैन अदा की और यहाँ आ गया ताकि वादे को पूरा करूँ। मैं तुम्हारे सामने हूँ, अपने सवाल पूछो और अपनी हाजतें बयान करो।

सबसे पहले नज़र बिन जाबिर ने अरज़ किया कि फ़र्ज़ंद-ए-रसूल कुछ महीने पहले मेरे बेटे की आँखों में तकलीफ़ के सबब बीनाई चली गई है। आप ख़ुदा से दुआ फरमाएँ कि उसकी बीनाई लौट आए।

इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया: उसे मेरे पास हाज़िर करो। जब वह आया तो आपने उसकी आँखों पर दस्ते-मुबारक फेरा और वह पहले की तरह बीना हो गया।

उसके बाद लोगों ने एक-एक करके आपकी ख़िदमत में अपने सवालात पेश किए और हाजतें बयान कीं। इमाम अ.स. ने सबके सवालों के जवाब और हाजतों की बरआवरी फरमाई और सामर्रा वापस तशरीफ ले गए।

(मौसूअतुल इमाम असकरी अ.स., जिल्द 1, सफ़हा 335)

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