
رضوی
बक़ीअ का विध्वंस लाखों मुसलमानों के पवित्र स्थलों का स्पष्ट अपमान था
हुज्जतुल इस्लाम गुलाम रजा पहलवानी ने कहा: बक़ीअ का पुनर्निर्माण एक ऐसी मांग है जो किसी विशेष धर्म तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मुसलमानों की साझी विरासत के प्रति सम्मान और अज्ञानता और उग्रवाद के विरुद्ध प्रतिरोध का प्रतीक है।
हुज्जतुल इस्लाम गुलाम रजा पहलवानी ने संवाददाता से बात करते हुए, 8 शव्वाल, बाकी के विध्वंस के दिन के बारे में बात करते हुए कहा: 8 शव्वाल 1344 हिजरी इस्लाम के इतिहास में सबसे कड़वा दिनों में से एक है, वह दिन जब पैगंबर मुहम्मद (स) के अहले बैत से चार इमामों की पवित्र कब्रों को वहाबीवाद के अनुयायियों द्वारा बाकी के कब्रिस्तान में ध्वस्त कर दिया गया था।
मिशकात के इमाम जुमा ने कहा: बक़ीअ का विध्वंस न केवल एक विनाशकारी सांस्कृतिक कार्य था, बल्कि यह लाखों मुसलमानों की पवित्रता का भी घोर अपमान था।
बक़ीअ कब्रिस्तान को इतिहास और आस्था का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा: मदीना में यह कब्रिस्तान इस्लामी इतिहास के सबसे पुराने कब्रिस्तानों में से एक है, जिसमें कई सहाबी, ताबेईन, इस्लामी हस्तियां और सबसे बढ़कर अहले बैत (अ) के चार मासूम इमाम, पवित्र पैगंबर (स) की पत्नियां, उनके चाचा अब्बास और इमाम अली (अ) की मां फातिमा बिन्त असद दफन हैं। सदियों से इन पवित्र कब्रों पर इमारतें बनाई गईं, जो तीर्थयात्रियों के लिए सम्मान का स्रोत थीं और इन्हें अहले-बैत (अ) के प्रति मुसलमानों के प्रेम का प्रतीक माना जाता था।
इस त्रासदी के कारणों और कारकों की ओर इशारा करते हुए, हुज्जतुल इस्लाम पहलवानी ने कहा: जब वहाबियों ने 1344 हिजरी (1926 ई।) में हिजाज़ पर कब्जा कर लिया, तो अब्दुल अज़ीज़ आले सऊद के आदेश और वहाबी विद्वानों के फतवे पर अहले-बैत (अ) और अन्य कब्रों की सभी इमारतों को ध्वस्त कर दिया गया।
उन्होंने कहा: वहाबी अपनी कठोर और दृढ़ विचारधाराओं के आधार पर कब्रों के निर्माण और ज़ियारत को बहुदेववाद मानते हैं और इसे एकेश्वरवाद के विरुद्ध मानते हैं, जबकि बहुसंख्यक सुन्नी और शिया कब्रों की ज़ियारत को मुस्तहब और पैगंबर की सुन्नत मानते हैं।
आयतुल्लाह सय्यद रियाज़ुल हकीम की मौलाना वलीयुल हसन रिज़वी के बैत अश शरफ़ पर उपस्थिति और परिवार के सदस्यों के साथ संवेदना व्यक्त की
इराक की मशहूर एवं सांस्कृतिक हस्ती आयतुल्लाह अब्दुल अज़ीज़ अलहकीम ने हुज्जतुल इस्लाम वाल मुस्लिमीन मौलाना वलीयुल हसन रिज़वी के निवास स्थान पर जाकर उनके बेटों और अन्य परिजनों के साथ शोक संवेदना व्यक्त की।
हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार,इराक की मशहूर एवं सांस्कृतिक हस्ती आयतुल्लाह अब्दुल अज़ीज़ अलहकीम ने हुज्जतुल इस्लाम वाल मुस्लिमीन मौलाना वलीयुल हसन रिज़वी के निवास स्थान पर जाकर उनके बेटों और अन्य परिजनों के साथ शोक संवेदना व्यक्त की।
इस अवसर पर उन्होंने मरहूम की आत्मा की बुलंद दर्जा के लिए दुआ की और फातिहा ख्वानी कुरान की आयतों का पाठ की।
इस मौके पर उन्होंने कहां,हसन रिज़वी एक प्रसिद्ध धार्मिक विद्वान थे जिन्होंने इस्लामी शिक्षा और समाज सेवा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किए। आयतुल्लाह रियाज अलहकीम का यह कदम धार्मिक एकता और सामुदायिक सद्भाव का प्रतीक है।
इस मौके पर उन्होंने कहा मै अल्लाह ताला से दुआ करता हूं कि मरहूम के दरजात को बुलंद फरमाए परिवार वालों को सब्र अता करें मरहूम की मगफिरत करें।
मौलाना वलीयुल हसन रिज़वी के निधन पर अली इस्लामिक मिशन टोरंटो मे शोक सभा
अली इस्लामिक मिशन टोरंटो, कनाडा में हुज्जतुल इस्लाम वाल मुस्लिमीन मौलाना सय्यद वलीयुल हसन रिजवी ताब सराह के निधन पर शोक सभा आयोजित की गई। सभा की अध्यक्षता टोरंटो में इमाम जुमा हुज्जतुल-इस्लाम हाजी मौलाना सैयद अहमद रजा अल-हुसैनी ने की, जबकि पाकिस्तान से आए धार्मिक विद्वान मौलाना मुबाशिर अली जैदी ने भी सभा में भाग लिया।
हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, टोरंटो/हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मौलाना सय्यद वलीयुल हसन रिज़वी तब सारा के निधन पर अली इस्लामिक मिशन कनाडा टोरंटो में एक शोक सभा आयोजित की गई। सभा की अध्यक्षता टोरंटो में जुमा के इमाम हुज्जतुल-इस्लाम हाजी मौलाना सय्यद अहमद रजा हुसैनी ने की, जबकि पाकिस्तान से आए धार्मिक विद्वान मौलाना मुबाशिर अली जैदी ने भी सभा में भाग लिया।
सभा की शुरुआत दुआ के साथ हुई, जिसके बाद वक्ताओं ने मृतकों की धार्मिक और विद्वत्तापूर्ण सेवाओं के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रतिभागियों ने मौलाना वली-उल-हसन रिज़वी के निधन को इस्लामी राष्ट्र के लिए एक बड़ी त्रासदी बताया तथा उनके विद्वत्तापूर्ण एवं मिशनरी संघर्ष की सराहना की।
इसके बाद दिवंगत की तिस्कीने रूह के लिए फातेहा पढ़ी गई और उनके बड़े भाई हुज्जतुल इस्लाम शमीमुल मिल्लत मौलाना सय्यद शमीमुल हसन रिजवी (डीन, जामिया जवादिया, बनारस) सहित सभी परिवार के सदस्यों के प्रति संवेदना व्यक्त की गई।
मौलाना सय्यद वलीयुल हसन रिज़वी मरहूम इस्म बा मुसम्मा वली थेः
"वली" शब्द के कई अर्थ हैं, लेकिन उर्दू में इसका सामान्यतः प्रयोग "दोस्ती" के रूप में किया जाता है। इस अर्थ में, दिवंगत हुज्जतुल इस्लाम मौलाना सय्यद वलीयुल हसन रिज़वी इस्म बा मुस्मा वली थे। क्योंकि जो भी उनसे एक बार भी मिलता था, उनका मित्र बन जाता था।
मजमा उलेमा और खुतबा हैदराबाद डेक्कन, तेलंगाना, भारत के संस्थापक और संरक्षक हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मौलाना अली हैदर फरिश्ता ने जफरुल मिल्लत के बेटे, हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मौलाना सय्यद वलीयुल हसन रिज़वी की मृत्यु पर गहरा दुख और शोक व्यक्त किया और शोक संतप्त परिवार और रिश्तेदारों के प्रति संवेदना व्यक्त की, जिसका पूरा पाठ इस प्रकार है।
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्राहीम
اَلَاۤ اِنَّ اَوْلِیَآءَ اللّٰهِ لَا خَوْفٌ عَلَیْهِمْ وَ لَا هُمْ یَحْزَنُوْنَ۔الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَ كَانُوْا یَتَّقُوْنَﭤ۔
"निश्चय ही अल्लाह के मित्रों को न कोई भय होगा, न वे शोक करेंगे।" "जो लोग ईमान लाए और अल्लाह से डरते रहे" (सूरह यूनुस, आयत 62-63)।
सरकार जफरुल मिल्लत आयतुल्लाह सय्यद जफरुल हसन ताबा सरा के बेटे हुज्जतुल इस्लाम वल मुसलेमीन मौलाना सय्यद वलीयुल हसन रिज़वी, के निधन की खबर सुनकर मुझे बहुत दुख हुआ। इन्ना लिल्लाहे वा इन्ना इलैहे राजेऊन।
"वली" शब्द के कई अर्थ हैं, लेकिन उर्दू में इसका सामान्यतः प्रयोग "दोस्ती" के रूप में किया जाता है। इस अर्थ में, दिवंगत हुज्जतुल इस्लाम मौलाना सय्यद वलीयुल हसन रिज़वी इस्म बा मुस्मा वली थे। क्योंकि जो भी उनसे एक बार भी मिलता था, उनका मित्र बन जाता था।
जब हम 1988-1989 में हौज़ा ए इल्मिया कुम में थे, तो वली भाई हमसे पहले ही वहां मौजूद थे। वह बहुत दयालु और करुणामय थे, हमेशा सभी से विनम्रता और संयम के साथ मिलते थे और हम सभी पर अपना प्यार बरसाते थे। ये सभी प्रशंसनीय गुण उनमें पाये गये।
पवित्र शहर क़ुम में मौलाना सय्यद वलीयुल-हसन साहब के साथ बिताए सुखद क्षणों को याद करते हुए, तथा उनके भाई के अच्छे चरित्र और आचरण को देखते हुए, मौलाना रूमी की मसनवी की ये पंक्तियाँ याद आती हैं:
यक ज़माना सोहबत बा औलिया
बेहतर अस्त सद साले ताअत बे रिया
अर्थात् अल्लाह के दोस्त के साथ कुछ पल गुजारना सौ साल की बेरिया इबादत से बेहतर है।
अफसोस, एक सौम्य और सहनशील, वफादार और धर्मपरायण, विद्वान और व्यवसायी हमें हमेशा के लिए छोड़ कर चले गए। अल्लाह तआला मासूमीन (अ) की मदद से, मृतक को सर्वोच्च स्वर्ग में स्थान प्रदान करें और पीछे रह गए सभी लोगों को धैर्य प्रदान करें।
इन संक्षिप्त शब्दों के साथ, हम, मजमा उलेमा व खुत्बा हैदराबाद की ओर से, मृतक को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और मृतक के परिवार के सभी सदस्यों, विशेष रूप से सरकार शमीमुल-मिल्लत आयतुल्लाह शमीमुल-हसन साहब क़िबला, विद्वानों, छात्रों, और इमाम के प्रति अपनी संवेदना और सहानुभूति व्यक्त करते हैं।
शोक का भागीदार
अली हैदर फरिश्ता
मजमा उलेमा व खुत्बा हैदराबाद दकन, तेलंगाना भारत के संस्थापक और संरक्षक
मौलाना वलीयुल हसन रिज़वी के निधन पर मेलबर्न के इमाम ए जुमआ का शोक संदेश
हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मौलाना वलीयुल हसन रिज़वी एक अत्यंत साधारण, विनम्र और मेहमान नवाज़ आलिम-ए-दीन थे वे आलिम, शायर, अदीब, ख़तीब, मुफक्किर-ए-इस्लाम और मुफस्सिर-ए-क़ुरआन भी थे इतनी सारी खूबियां एक ही शख्सियत में जमा थीं।
एक रिपोर्ट के अनुसार , मेलबर्न ऑस्ट्रेलिया के इमामे जुमआ हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद अबुल क़ासिम रिज़वी ने बुज़ुर्ग आलिम-ए-दीन हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मौलाना वलीयुल हसन रिज़वी की रहलत पर गहरे रंज और ग़म का इज़हार करते हुए ताज़ियती पैग़ाम जारी किया है।
शोक संदेश कुछ इस प्रकार है:
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलाही राजी'उन
हाय, एक बार फिर यतीम हो गया वह शख्सियत जो बाप जैसी मोहब्बत और शफ़क़त दिया करती थी आज हमसे जुदा हो गई। हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मौलाना वली हसन रिज़वी एक अत्यंत साधारण, विनम्र और मेहमाननवाज़ आलिम-ए-दीन थे वे आलिम, शायर, अदीब, ख़तीब, मुफक्किर-ए-इस्लाम और मुफस्सिर-ए-क़ुरआन भी थे।
इतनी सारी खूबियां एक ही शख्सियत में जमा थीं। मरहूम से मेरे कई रिश्ते थे, मगर सबसे बड़ा रिश्ता सरपरस्ती का था। वे हमेशा दुआएं दिया करते थे आज हम उनके लिए दुआ-ए-मग़फ़िरत करते हैं।यह एक अत्यंत अफ़सोसनाक हादसा है।
क़ौम व मिल्लत का बड़ा नुक़सान है। हम बारगाह-ए-इलाही में दुआ करते हैं कि अल्लाह तआला मरहूम के दरजात बुलंद फरमाए और अहल-ए-ख़ाना को सब्र-ए-जमील अता करे। आमीन
मौलाना सैयद वलीयुल हसन मरहूम की ज़िंदगी इल्मी सरगर्मियों में बसर हुई
भारत के महान आलिम ज़फरुल मिल्लत अल्लामा सैयद ज़फरुल हसन रिज़वी (रह.) के बेटे हुज्जतुल इस्लाम मौलाना सैयद वलीयुल हसन साहब रह. की ज़िंदगी पूरी तरह इल्मी सरगर्मियों शैक्षिक गतिविधियों में सारी जिंदगी व्यस्त रही।
लखनऊ आयतुल्लाहिल उज़्मा सिस्तानी के प्रतिनिधि, हुज्जतुल इस्लाम मौलाना सैयद अशरफ़ अली अलग़रवी ने प्रसिद्ध आलिम और मुबल्लिग़ मौलाना सैयद वलीयुल हसन के इंतेक़ाल पर निम्नलिखित ताज़ियती पैग़ाम जारी किया हैं।
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
बेहद अफ़सोसनाक ख़बर मिली कि मौलाना सैयद वलीयुल हसन इस फ़ानी दुनिया से रुख़्सत होकर बारगाहे इलाही में पहुँच गए भारत के महान आलिम ज़फरुल मिल्लत अल्लामा सैयद ज़फरुल हसन रिज़वी (रह.) के बेटे हुज्जतुल इस्लाम मौलाना सैयद वलीयुल हसन साहब रह. की ज़िंदगी पूरी तरह इल्मी सरगर्मियों शैक्षिक गतिविधियों में सारी जिंदगी व्यस्त रही।
मौलाना सैयद वलीयुल हसन ने अपनी पूरी ज़िंदगी क़ौम की रहनुमाई हिदायत और तालिब-ए-इल्मों की तालीम व तरबियत में गुज़ारी।मौलाना मरहूम के तमाम पसमानदगान, वाबस्तगान, शागिर्दान और अक़ीदत मंदों, और अहले ख़ानदान की ख़िदमत में ताज़ियत पेश करते हैं और बारगाहे इलाही में उनकी मग़फिरत और बुलंद दर्ज़ात की दुआ करते हैं।
लोगो से मौलाना मरहूम के बुलंद दर्ज़ात के लिए सूरह फ़ातिहा की दरख़्वास्त है।
वस्सलाम
सैयद अशरफ़ अली अलग़रवी
अलमुस्तफा फाउंडेशन ट्रस्ट द्वारा मौलाना सैयद वलीयुल हसन रिज़वी के निधन पर शोक संदेश
अलमुस्तफा फाउंडेशन ट्रस्ट के प्रतिनिधि मौलाना सैयद जौहर अब्बास रिज़वी ने मौलाना सैयद वलीयुल हसन रिज़वी के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त करते हुए कहा,आह! 'क़हतेर रिजाली के इस दौर में ज्ञान और साहित्य का एक और दीपक बुझ गया।
अलमुस्तफा फाउंडेशन ट्रस्ट के प्रतिनिधि मौलाना सैयद जौहर अब्बास रिज़वी ने मौलाना सैयद वलीयुल हसन रिज़वी के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त करते हुए कहा,आह! 'क़हतेर रिजाली के इस दौर में ज्ञान और साहित्य का एक और दीपक बुझ गया।
शोक संदेश इस प्रकार है:
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलाही राजी'उन।
قال الإمام الصادق عليه السلام :
( إذا مات العالم ثلم في الإسلام ثلمة لا يسدها شيء إلى يوم القيامة )
हज़रत इमाम सादिक़ (अ.स.) की हदीस,जब कोई आलिम चल बसता है, तो इस्लाम में ऐसी दरार पड़ जाती है जो क़यामत तक नहीं भर सकती।
उन्हेंने अहलेबैत (अ.स.) के प्रति समर्पित, कर्मठ विद्वान, परहेज़गार, दयालु शिक्षक, विनम्र स्वभाव वाला, और उत्कृष्ट नैतिक चरित्र का धनी थे।
मैं अल्लाह ताला से दुआ करता हूं कि परिवार वालों को सब्र आता करें और मरहूम की मग़फिरत करें और उन्हें जवारे अहलेबैत अ.स. में जगह करार दें।
सैयद जौहर अब्बास रिजवी
अल-मुस्तफा फाउंडेशन ट्रस्ट
मौलाना सय्यद वलीयुल हसन रिज़वी के निधन पर मुंबई के इमाम ए जुमा का शोक संदेश
मुंबई के इमाम ए जुमआ हुज्जतुल इस्लाम मौलाना सैयद अहमद अली आबदी ने हुज्जतुल इस्लाम मौलाना सैयद वलीयुल हसन रिज़वी के निधन पर गहरा दु:ख और संवेदना प्रकट की है।
मुंबई के इमाम ए जुमा हुज्जतुल इस्लाम मौलाना सय्यद अहमद अली आबदी ने हुज्जतुल इस्लाम मौलाना सय्यद वलीयुल हसन रिज़वी के निधन पर गहरा दु:ख और संवेदना प्रकट की है।
शोक संदेश कुछ इस प्रकार है:
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
इन्ना लिल्लाहे व इन्ना इलैहे राजेऊन
हुज्जतुल इस्लाम जनाब सय्यद वलीयुल हसन रिज़वी जिन्हें आज अत्यंत दुख के साथ ‘मरहूम’ और ‘ताब सराह’ कहना पड़ रहा है, ख़ानदान-ए-ज़फ़र-उल-मिल्लत के एक चमकते और रौशन चिराग़ थे,जो बुझ गया। उन्होंने इल्मी क्षेत्र में महत्वपूर्ण सेवाएँ दीं ।
शिक्षा और प्रचार के क्षेत्र में सक्रिय रहे और अपनी मिलनसारिता, अच्छे आचरण, धार्मिकता और परहेज़गारी के कारण छात्रों और आम जनता के बीच समान रूप से प्रिय थे। उनका निधन धार्मिक और बौद्धिक जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है।
मौलाना सय्यद अहमद अली आबदी ने आगे कहा,मैं ख़ानदान-ए-ज़फ़र-उल-मिल्लत के मुखिया हुज्जतुल इस्लाम मौलाना सैयद शमीम हसन की सेवा में संवेदना व्यक्त करता हूँ। यह उनके लिए एक बड़ा दुख है कि उन्होंने अपने भाई भतीजे और न जाने कितने प्रियजनों को खो दिया है।
मैं तमाम दीनी विद्यार्थियों और मरजय ए इकराम और विद्वानों और परिवार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं।
और अल्लाह ताला से दुआ करता हूं कि मरहूम के दरजात को बुलंद फरमाए परिवार वालों को सब्र अता करें मरहूम की मगफिरत करें।
महदी महदवीपुर की 15 वर्षो की सेवा को ख़ेराजे तहसीन और नए प्रतिनिधि का स्वागत
नई दिल्ली स्थित ईरान कल्चर हाउस में सराहना और स्वागत का एक शानदार आध्यात्मिक और ऐतिहासिक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें सुप्रीम लीडर, अयातुल्ला सैय्यद अली ख़ामेनेई (म) के पूर्व प्रतिनिधि हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन महदी महदीपुर की पंद्रह साल की शानदार सेवा को श्रद्धांजलि दी गई और सुप्रीम लीडर के नए प्रतिनिधि डॉ. अब्दुल मजीद हकीम इलाही का भव्य स्वागत किया गया।
नई दिल्ली स्थित ईरान कल्चर हाउस में सराहना और स्वागत का एक शानदार आध्यात्मिक और ऐतिहासिक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें सुप्रीम लीडर, अयातुल्ला सैय्यद अली ख़ामेनेई (म) के पूर्व प्रतिनिधि हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन महदी महदीपुर की पंद्रह साल की शानदार सेवा को श्रद्धांजलि दी गई और सुप्रीम लीडर के नए प्रतिनिधि डॉ. अब्दुल मजीद हकीम इलाही का भव्य स्वागत किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत कुरान की तिलावत से हुई, जिसके बाद हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन महदीपुर ने सभी मेहमानों का गर्मजोशी से स्वागत किया और उनका शुक्रिया अदा किया।
अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि उन्होंने लगभग पंद्रह वर्षों तक भारत में आयतुल्लाह खामेनेई के प्रतिनिधि के रूप में कार्य किया और इस महान जिम्मेदारी के लिए वे अत्यंत आभारी हैं। उन्होंने कहा कि पिछले कई वर्षों में उन्होंने भारत के विभिन्न भागों का दौरा किया है और यहां लोगों के बीच केवल प्रेम, भाईचारा और एकता ही देखी है। उनका प्रयास हमेशा लोगों को एक-दूसरे के करीब लाने और सभी मतभेदों को कम करने का रहा है।
इस्लामी गणतंत्र ईरान के राजदूत श्री इराज इलाही ने भी अपने वक्तव्य में महदीपुर की कड़ी मेहनत, सेवाओं और लोगों को जोड़ने के प्रयासों की ईमानदारी से प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि महदीपुर ने भारत में न केवल कूटनीति की है बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक संबंधों को भी मजबूत किया है।
आयतुल्लाह खामेनेई के नए प्रतिनिधि डॉ हकीम इलाही ने भी बात की और कहा कि वह अल्लाह के शुक्रगुज़ार हैं और जनाब महदीपुर की कड़ी मेहनत की सराहना करते हैं। उन्होंने कहा कि वह भारत में धार्मिक, शैक्षणिक और सांस्कृतिक गतिविधियों को और बढ़ाने का प्रयास करेंगे।
कुवैत से आए अतिथि जनाब मुस्तफा गुलाम ने भी कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि जनाब महदीपुर ने हर समुदाय और वर्ग के साथ काम किया तथा लोगों के बीच प्रेम और एकता को बढ़ावा दिया।
इस कार्यक्रम के विशेष अतिथि, अंतरराष्ट्रीय मामलों के लिए सुप्रीम लीडर के कार्यालय के सहायक, आयतुल्लाह महसिन कुमी (सेवानिवृत्त) थे। उन्होंने शजनाब महदीपुर की 15 वर्षों की सेवा पर भी प्रकाश डाला और उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि जनाब महदीपुर ने भारत में धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक स्तर पर बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उनकी बदौलत ईरान और भारत के बीच शैक्षणिक और सांस्कृतिक संबंध और मजबूत हुए।
इस कार्यक्रम को मौलाना कल्बे जवाद नकवी, मौलाना कल्बे रुशैद, मौलाना मोहसिन तकवी और ऑस्ट्रेलिया से आए मौलाना अबुल कासिम रिजवी और मुंबई से मौलाना हुसैन मेहदी हुसैनी जैसे प्रसिद्ध विद्वानों ने भी संबोधित किया। उन्होंने जनाब महदीपुर की सेवाओं की सराहना की और कहा कि उन्होंने हर संप्रदाय के बीच भाईचारा और सद्भाव कायम किया, जो एक मिसाल है।
अन्य वक्ताओं में प्रोफेसर अख्तर अल-वासी, मौलाना हुसैन मेहदी हुसैनी, मौलाना गुलाम रसूल कश्मीरी, कश्मीर के प्रतिष्ठित व्यक्ति, जनाब हुनैफा और रुहुल्लाह साहब, शाही इमाम फ़तेहपुरी मस्जिद और मुकर्रम साहब शामिल हैं।
अंततः आयतुल्लाह मोहसिन कुमी ने आधिकारिक तौर पर जनाब हकीम इलाही को भारत में अयातुल्ला खामेनेई का नया प्रतिनिधि घोषित किया और उनके लिए दुआ की। समारोह का समापन सभी अतिथियों के प्रति धन्यवाद प्रार्थना के साथ हुआ।
हज और उमराह यात्रियों के लिए 16 भाषाओं में डिजिटल गाइड जारी
सऊदी हज और उमराह मंत्रालय ने दो पवित्र मस्जिदों के तीर्थयात्रियों की सुविधा और मार्गदर्शन के लिए 16 विभिन्न भाषाओं में एक डिजिटल गाइड जारी करके एक अभिनव कदम उठाया है। यह मार्गदर्शिका मंत्रालय की वेबसाइट पर ऑडियो प्रारूप में भी उपलब्ध है।
दोनों पवित्र मस्जिदों में तीर्थयात्रियों की सुविधा और मार्गदर्शन के लिए, सऊदी हज और उमराह मंत्रालय ने एक अभिनव कदम उठाया है 16 विभिन्न भाषाओं में एक डिजिटल गाइड जारी किया है। यह मार्गदर्शिका मंत्रालय की वेबसाइट पर ऑडियो प्रारूप में भी उपलब्ध है और आगंतुक इसे डाउनलोड कर आसानी से उपयोग कर सकते हैं।
हज और उमराह मंत्रालय ने विभिन्न देशों से आने वाले तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए उर्दू, अंग्रेजी, अरबी, तुर्की, फारसी, उज्बेक, इंडोनेशियाई और अन्य भाषाओं में महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराई है। इस गाइड में साइबर सुरक्षा, कानूनी और प्रशासनिक मामले, वित्तीय मामले (बैंकिंग) और स्वास्थ्य मार्गदर्शन सहित विभिन्न विषयों पर विस्तृत निर्देश शामिल हैं।
यह मार्गदर्शिका हज और उमराह के महत्वपूर्ण चरणों और स्थानों के बारे में भी जानकारी प्रदान करती है, जिसमें जमरात (मिना), मुजदलेफा, क़ुरबानी के दिन, अराफा के दिन और एहराम के प्रतिबंधों के बारे में दिशा-निर्देश शामिल हैं। यह आधुनिक गाइड न केवल हज और उमराह की रस्में निभाने में तीर्थयात्रियों को सुविधा प्रदान करेगा, बल्कि उन्हें किसी भी कानूनी या प्रशासनिक जटिलताओं से बचने में भी मदद करेगा।
डिजिटल गाइड मदीना और मक्का के विभिन्न स्थानों के साथ-साथ मस्जिद अल नबी और मस्जिद अल नबी में प्रदान की जाने वाली सेवाओं के बारे में पूरी जानकारी प्रदान करता है। हज और उमराह मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी पीडीएफ प्रारूप में उपलब्ध है जिसे डाउनलोड किया जा सकता है, और ऑडियो भी उपलब्ध कराया गया है।