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दुश्मन का लक्ष्य केवल लेबनान और ग़ाज़ा नहीं ,बल्कि असली निशाना ईरान

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दुश्मन का लक्ष्य केवल लेबनान और ग़ाज़ा नहीं ,बल्कि असली निशाना ईरान

इराकी प्रतिरोधी आंदोलन अहद अल्लाह के प्रमुख ने कहा कि अपराधी अमेरिका की अगुवाई में दुश्मनों का लक्ष्य केवल ग़ाज़ा, लेबनान और सीरिया नहीं है बल्कि यह देश दुश्मन के उद्देश्यों का एक हिस्सा हैं और दुश्मनों का असली लक्ष्य इस्लामी गणराज्य ईरान है।

एक रिपोर्ट के अनुसार , इराकी प्रतिरोधी आंदोलन अहद अल्लाह के प्रमुख हज़रत हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद हाशिम अलहैदरी ने धार्मिक मदरसों के तहत क़ुम की जामे मस्जिद में शहीद सैयद हसन नसरुल्लाह की याद में आयोजित मजलिस-ए-अज़ा में कहा कि शहीद सैयद हसन नसरुल्लाह वली-ए-फ़क़ीह के पूर्णत अनुयायी थे।

वली ए फक़ीह के प्रति निष्ठा, इस महान शहीद के जीवन की विशेषता थी। सैयद हसन नसरुल्लाह, प्रतिरोध आंदोलन के नेता चुने जाने से पहले वली-ए-फ़क़ीह के एक महान सिपाही प्रेमी और निष्ठावान कार्यकर्ता थे।

 

उन्होंने यह बताते हुए कि आज प्रतिरोध का मुद्दा, इस्लामी शासन की एक महत्वपूर्ण चर्चा है आगे कहा कि अपराधी अमेरिका की अगुवाई में दुश्मनों का लक्ष्य केवल ग़ाज़ा, लेबनान और सीरिया नहीं है बल्कि ये देश दुश्मनों के लक्ष्यों का एक हिस्सा हैं और दुश्मनों का असली लक्ष्य इस्लामी गणराज्य ईरान और वली-ए-फक़ीह है।

हज़रत हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद हाशिम अलहैदरी ने कहा कि आज जिहाद-ए-तबयीन सत्य की व्याख्या के लिए संघर्ष सबसे महत्वपूर्ण कर्तव्यों में से एक है।

इराकी आंदोलन अहद अल्लाह के प्रमुख ने विभिन्न क्षेत्रों जैसे सांस्कृतिक, सैन्य और सामाजिक में विशेष रूप से दुश्मनों की साज़िशों को विफल करने के प्रयासों की आवश्यकता की ओर इशारा करते हुए कहा कि इस्लामी क्रांति के नेता, हज़रत आयतुल्लाह-ए-उज़्मा सैयद अली ख़ामनेई सहित अन्य विशेषज्ञों ने बार बार इस्लामी ईरान के खिलाफ चल रही साज़िशों की ओर संकेत किया है और दुश्मन की साज़िशों को नाकाम बनाने के लिए प्रयास करना चाहिए।

हज़रत हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद हाशिम अलहैदरी ने कहा कि वली ए फक़ीह के प्रति निष्ठा केवल एक नारा नहीं है बल्कि इसे व्यावहारिक जीवन में साबित करना होगा। आज क्रांति के नेता के आदेश अर्थात "जिहाद-ए-तबयीन" पर अमल करना सबसे महत्वपूर्ण कर्तव्यों में से एक है।

उन्होंने आगे कहा कि शहीद सैयद हसन नसरुल्लाह हर शब ए आशूरा और रोज़-ए-आशूरा पूरी बहादुरी के साथ क्रांति के नेता के प्रति अपनी निष्ठा की पुष्टि करते थे जबकि बैरूत का माहौल क़ुम और तेहरान जैसा स्वतंत्र नहीं है।

 

 

 

 

 

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