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मजलिस ए ख़ुबरेगान का क्षेत्रीय परिस्थितियों और सीरिया की घटनाओं पर बयान

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मजलिस ए ख़ुबरेगान का क्षेत्रीय परिस्थितियों और सीरिया की घटनाओं पर बयान

मजलिस ए ख़ुबरेगान ने हालिया क्षेत्रीय घटनाक्रम और सीरिया में हो रहे घटनाओं के संदर्भ में एक बयान जारी किया है बयान में मौजूदा हालात का गहराई से विश्लेषण करते हुए उम्मत-ए-मुस्लिमाह को दुश्मनों की साज़िशों के प्रति सतर्क रहने की अपील की गई है।

एक रिपोर्ट के अनुसार ,पश्चिमी एशिया के हालिया घटनाक्रम विशेषकर सीरिया की घटनाओं के संदर्भ में मजलिस ए ख़ुबरेगान-ए-रहबरी ने एक बयान जारी किया है इस बयान में सीरिया की स्थिति पर हज़रत आयतुल्लाह अली ख़ामनेई के हिकमत और रौशनी से भरे बयानों की सराहना की गई।

बयान का पाठ इस प्रकार है:

بسم الله الرحمن الرحیم

إِنَّ ٱلَّذِینَ قَالُواْ رَبُّنَا ٱللَّهُ ثُمَّ ٱسۡتَقَٰمُواْ تَتَنَزَّلُ عَلَیۡهِمُ ٱلۡمَلَـٰٓئِکَةُ أَلَّا تَخَافُواْ وَلَا تَحۡزَنُواْ وَأَبۡشِرُواْ بِٱلۡجَنَّةِ ٱلَّتِی کُنتُمۡ تُوعَدُونَ

जो लोग कहते हैं हमारा रब अल्लाह है और उस पर स्थिर रहते हैं उन पर फरिश्ते उतरते हैं और कहते हैं कि मत डरो मत उदास हो और तुम्हें उस जन्नत की शुभ सूचना हो जिसका तुमसे वादा किया गया था।

पश्चिम एशिया विशेष रूप से सीरिया में हालिया घटनाएं दुश्मन मीडिया की साजिशों और तकफ़ीरी आतंकवादियों की झूठी छवि पेश करने के कारण दुनिया की राय को प्रभावित करने की कोशिश कर रही हैं।

इसके बावजूद रहबर ए मुअज़्ज़म ने अपने व्यापक और बुद्धिमान बयानों के माध्यम से इस शैतानी प्रक्रिया के छिपे और खुले पहलुओं को स्पष्ट किया और प्रतिरोध मोर्चे के खिलाफ रचे गए षड्यंत्र को उजागर किया।

मजलिस ए ख़ुबरिगान ने सीरिया के मामलों पर रहबर-ए-मुअज़्ज़म के जागरूक और उम्मीदों से भरे दृष्टिकोण की सराहना की बयान में यह भी कहा गया कि रहबर ए मुअज़्ज़म ने सीरिया के युवाओं की क्रांति प्रतिरोध मोर्चे के विस्तार और क्षेत्र में उज्ज्वल भविष्य की ओर इशारा किया। इसके अलावा प्रतिरोध मोर्चे के शहीदों और महान नेताओं को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

मजलिस ए ख़ुबरेगान ने ज़ोर दिया कि प्रतिरोध और डटे रहना ही इस्लाम और मुसलमानों के दुश्मनों के खिलाफ जीत का एकमात्र रास्ता है। अमेरिका और ज़ायोनी शासन जैसे अत्याचारी ताकतों के साथ समझौता करने से कुछ हासिल नहीं होगा।

 कहा गया कि इतिहास गवाह है कि चाहे कर्बला की घटना हज़रत इमाम हुसैन अ.स. और उनके साथियों की शहादत हो या ईरानी इस्लामी क्रांति के खिलाफ थोपे गए युद्ध, लेबनान के खिलाफ 33 दिनों का युद्ध या हाल ही में 7 अक्टूबर के बाद ग़ज़्ज़ा में 50,000 मासूम लोगों, विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों की शहादत हर बार अत्याचारी शक्तियां नष्ट हुईं।

अंत में बयान ने इस बात पर ज़ोर दिया कि बुराई पर विजय के लिए विश्वास को मजबूत करना कर्तव्यों का पालन करना सतर्कता के साथ मैदान में मौजूद रहना और जागरूकता बढ़ाना आवश्यक है।

 

 

 

 

 

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