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दुनिया के चार मुख्य संकट और उनका समाधान

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दुनिया के चार मुख्य संकट और उनका समाधान

मजलिसे खुबरेगान रहबरी के प्रमुख आयतुल्लाह अब्बास काबी ने समकालीन दुनिया के चार प्रमुख संकटों और उनके समाधान के बारे में विस्तार से बताया।

आयतुल्लाह अब्बास काबी, ने इंसानी समाज के वर्तमान संकटों पर चर्चा करते हुए कहा कि समकालीन मानव के पास चार प्रमुख संकट हैं, जो आधुनिक सभ्यता के कारण उत्पन्न हुए हैं। उन्होंने कहा: "पहला संकट है, विचार और व्यवहार में नास्तिकता का शासन। यानी इंसान वह जीवन जीने लगा है जिसमें वह ईश्वर, पैगंबरों के मार्गदर्शन, और आख़िरत के नज़रिए से दूर है। यही समकालीन मानव का जीवन है।"

आयतुल्लाह अब्बास काबी ने इन संकटों को आधुनिक सभ्यता से उत्पन्न बताया और इसके समाधान की दिशा भी प्रस्तुत की।

  1. नास्तिकता का संकट: आयतुल्लाह काबी ने सबसे पहले विचार और व्यवहार में नास्तिकता के शासन को प्रमुख संकट बताया। नास्तिकता का मतलब केवल ईश्वर और आख़िरत में विश्वास न करना नहीं, बल्कि व्यवहार में भी ईश्वर से दूर हो जाना है। यह संकट जीवन में व्यावहारिक रूप से ईश्वर को भुलाने और भौतिक सुखों की ओर झुकाव से उत्पन्न होता है, जो इंसान के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
  2. व्यक्तिगत जीवन और सामाजिक जिम्मेदारी की अनदेखी: दूसरा संकट यह है कि समकालीन व्यक्ति अपने व्यक्तिगत सुख और भोग में उलझा रहता है और सामाजिक जिम्मेदारियों से बेखबर रहता है। इस सोच के परिणामस्वरूप एक व्यक्तिवादी और लिबरल दृष्टिकोण पैदा होता है, जिसमें कुछ लोग भौतिक सुखों के मुकाबले दूसरों से पीछे रह जाते हैं।
  3. तागूत का शासन और शैतानी शक्तियों का प्रभुत्व: तीसरा संकट तागूत (तानाशाही) और शैतानी शक्तियों का प्रभुत्व है, जो दुनिया भर में संकटों का कारण बनते हैं। यह संकट वीटो अधिकार, सुरक्षा परिषद जैसी संस्थाओं के अन्यायपूर्ण प्रबंधन के कारण उत्पन्न होते हैं।
  4. मानव गरिमा का विनाश: चौथा संकट मानव गरिमा का स्वेच्छा से विनाश है, जिसमें कुछ लोग अपनी इच्छाशक्ति से अपनी पहचान और मानवता को ही नकार देते हैं। इस तरह के उदाहरण यूरोप में देखे गए हैं, जहां कुछ लोग जानवरों जैसी पहचान अपनाते हैं।

आयतुल्लाह काबी ने इन संकटों का समाधान प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि समाधान चार प्रमुख मार्गों में निहित हैं:

  1. ईश्वर में विश्वासऔर नास्तिकता के खिलाफ जीवन जीना।
  2. अच्छे कार्यों का निर्माणकरना, जो समाज को लाभ पहुंचाए और साझा जिम्मेदारी को उत्पन्न करे।
  3. ईश्वर के नेतृत्व में सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन
  4. मानवता, गरिमा और अच्छे कार्यों पर धैर्यरखना।

इन समाधानों को अपनाकर हम वैश्विक स्तर पर बदलाव ला सकते हैं और मानवता को विनाश से बचा सकते हैं।

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