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क्या आप जानते हैं कि पैगंबर (स.) के आने से पहले कैसे थे, अरब के हालात?

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क्या आप जानते हैं कि पैगंबर (स.) के आने से पहले कैसे थे, अरब के हालात?

पैगंबर के समय दुनिया में बड़े साम्राज्य खत्म हो रहे थे, जैसे सासानी और रोमन साम्राज्य। उस समय बड़े धर्म जैसे ईसाई और ज़रोस्त्रियन धर्म भी गलत मान्यताओं से मिल गए थे। लोग अज्ञानता और ज़ुल्म का शिकार थे, जगह-जगह हंगामे और धोखाधड़ी थी। समाज में बुरे कानून, वर्ग भेद, जनजातीय लड़ाईयाँ, गलत भेदभाव, और महिलाओं के साथ खराब व्यवहार था। इसलिए, क़ुरआन ने उस समय को "स्पष्ट गुमराही" कहा है। इसे इस्लामी स्रोतों में "जाहिलियत का दौर" कहा जाता है।

पैग़म्बर के आने से पहले अरब के हालात

राजनीतिक स्थिति: अरब में कोई एक बड़ा राज्य नहीं था। लोग क़बीले (जनजातियों) में रहते थे और हर क़बीले का अपना नेता होता था। मक्का में क़ुरैश क़बीला का प्रभुत्व था, और मदीना में भी कई क़बीले थे। इस समय कोई केंद्रीय सरकार नहीं थी, और लोग अपने-अपने क़बीले के अनुसार चलते थे।

धार्मिक स्थिति: अधिकांश लोग  कीअसनाम की पूजा करते थे। मक्का में काबा में कई ख़ुदा रखे जाते थे, जिनकी लोग इबादत करते थे। इसके अलावा, कुछ लोग यहूदी और ईसाई थे, लेकिन उनकी संख्या कम थी। किताबों में यह बताया गया है कि लोग असली धर्म से भटक चुके थे और बहुत सी गलत बातें फैल चुकी थीं।

आर्थिक स्थिति: अरब की ज्यादातर अर्थव्यवस्था व्यापार और खेती पर आधारित थी। मक्का एक प्रमुख व्यापारिक शहर था, क्योंकि यह दो बड़े व्यापार मार्गों के बीच था। यहाँ पर व्यापार से क़ुरैश क़बीला को बहुत फायदा होता था।

सामाजिक स्थिति: समाज में असमानताएँ थीं। लोग अपने क़बीले के हिसाब से जीवन जीते थे, और महिलाओं की स्थिति बहुत कमजोर थी। किताबों में बताया गया है कि इस समय कुछ क़बीले अपनी बेटियों को ज़िंदा दफन कर देते थे, जो एक बहुत ही खराब प्रथा थी। इसके अलावा, लोग ज्यादातर अनपढ़ थे और बहुत सी गलत बातें मानते थे।

इस स्थिति को बदलने के लिए, इस्लाम आया और पैगंबर ने लोगों को एक नया और सही रास्ता दिखाया।

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