बहुत बार ऐसा होता है कि लोग यह नहीं जानते कि वे अपराध कर रहे हैं, इसलिए धार्मिक स्कूलों और मस्जिदों में सांस्कृतिक काम अपराध को रोकने में मदद कर सकते हैं।
हज़रत आयतुल्लाह मक़ारिम शिराज़ी ने धर्मगुरूओ के विशेष न्यायालय के प्रमुख से मुलाकात में कहा कि इस न्यायालय की गतिविधियाँ धर्मगुरूओ के लिए फायदेमंद हैं। उन्होंने कहा कि इस न्यायालय की स्थापना का विचार इमाम ख़ुमैनी (र) का एक बड़ा सम्मान है।
उन्होंने यह भी कहा कि इस न्यायालय में मुकदमों की संख्या कम है, लेकिन शाखाओं को बढ़ाने में सावधानी रखनी चाहिए ताकि काम में लापरवाही न हो और मुकदमों की सुनवाई प्रभावित न हो। न्यायालय के फैसले लागू होने चाहिए, वरना इसका असर कम हो जाएगा।
उन्होंने यह भी बताया कि धार्मिक छात्रों (तलबा) के लिए सांस्कृतिक गतिविधियाँ करने से उनके बीच अपराध कम होता है, क्योंकि कभी-कभी लोग यह नहीं जानते कि वे अपराध कर रहे हैं। इसलिए धार्मिक स्कूलों और मस्जिदों में सांस्कृतिक काम अपराध को रोकने में मददगार होते हैं।
आखिर में उन्होंने कहा कि कुछ धार्मिक छात्र आर्थिक कामों में लगे रहते हैं, जिससे वे धार्मिक शिक्षा के माहौल से दूर हो जाते हैं।