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आतंकवाद का कोई धर्म, मज़हब या मस्लक नहीं होता

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आतंकवाद का कोई धर्म, मज़हब या मस्लक नहीं होता

 यह बात कभी नहीं भूलनी चाहिए कि आतंकवाद का कोई धर्म, मज़हब या संप्रदाय नहीं होता। ऐसे मानवता के दुश्मन तत्व अपने आपराधिक कृत्यों के माध्यम से दुनिया की शांति और स्थिरता को नष्ट करने पर आमादा हैं।

कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के खिलाफ भारत में वली-ए-फक़ीह (ईरान के सर्वोच्च नेता के प्रतिनिधि) हज़रत हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अब्दुल मजीद हकीम इलाही ने एक कड़ा और स्पष्ट निंदा पत्र जारी किया है।

जिसका हिंदी अनुवाद इस प्रकार है:

कश्मीर के पहलगाम में मासूम नागरिकों पर हुए बर्बर और आतंकवादी हमले की खबर ने हमारे दिल को गहरे दुःख और पीड़ा में डाल दिया है। हम, इस्लामी क्रांति के महान नेता आयतुल्लहिल अज़्मा सैय्यद अली ख़ामेनेई  के विवेकपूर्ण मार्गदर्शन में यह मानते हैं कि ऐसे कायराना और आतंकपूर्ण कृत्य, इंसानियत, नैतिकता और ईश्वरीय धर्मों की शिक्षाओं के पूरी तरह खिलाफ हैं।

यह अमानवीय और निर्दयी हमले न केवल भारत के सम्मानित नागरिकों के विरुद्ध हैं, बल्कि पूरी मानवता और वैश्विक अंतरात्मा के विरुद्ध भी हैं। यह बात हर्ज भुलाई नहीं जानी चाहिए कि आतंकवाद का कोई धर्म, मज़हब या संप्रदाय नहीं होता। ऐसे मानवता विरोधी तत्व अपने अपराधों के ज़रिए दुनिया की शांति और स्थिरता को तहस-नहस करने पर तुले हुए हैं।

आज पहले से कहीं अधिक ज़रूरी है कि हम जागरूकता, एकता, प्रेम और भाईचारे के साथ इन साज़िशों को नाकाम करें और मानव गरिमा तथा शांति की राह पर मज़बूती से डटे रहें।

मैं इस दुखद घटना पर भारत सरकार और वहां के सम्मानित नागरिकों, विशेष रूप से प्रभावित परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना प्रकट करता हूँ और ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि घायल शीघ्र स्वस्थ हों और लापता लोगों के परिजनों को धैर्य और संबल प्रदान करें।

इन कठिन क्षणों में हम भारत के प्रिय नागरिकों और सरकार के साथ अपनी पूरी सहानुभूति और एकजुटता का इज़हार करते हैं और परमेश्वर से प्रार्थना करते हैं कि वह इस धरती को शांति, सौहार्द्र, सहअस्तित्व और मेल मिलाप का केन्द्र बनाए।

वस्सलाम,
अब्दुल मजीद हकीम इलाही

वली-ए-फक़ीह के प्रतिनिधि, भारत

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