मुंबई की पाला गली जामा मस्जिद के इमाम-ए-जुमा, होज्जतुल इस्लाम मौलाना सैयद अहमद अली आबिदी ने जुमा की नमाज़ के ख़ुत्बे में कहा कि हुसैन (अ.स.) का ज़िक्र आख़िरत का सबसे बेहतरीन ख़ज़ाना है।
ख़ोजा शिया इस्ना अशरी जामा मस्जिद, पालागाली के इमाम-ए-जुमआ, हुज्जतुल इस्लाम मौलाना सैयद अहमद अली आबिदी ने जुमआ की नमाज़ के ख़ुत्बे में कहा कि इमाम हुसैन अ.स.का ज़िक्र आख़िरत के लिए सबसे बेहतरीन ख़ज़ाना है।
मौलाना सैयद अहमद अली आबिदी ने रसूलुल्लाह स.अ.व.की एक लंबी हदीस बयान करते हुए कहा कि ग़ीबत, दुनिया की मोहब्बत, तकब्बुर, ख़ुदपसंदी, हसद, बेरहमी और इख़्लास की कमी अमल की क़ुबूलियत में रुकावट है।
उन्होंने इख़्लास के संबंध में इमाम ख़ुमैनी (र.ह.) के कथन को बयान करते हुए कहा कि इमाम ख़ुमैनी र.ह ने फ़रमाया,जो अमल अल्लाह के लिए नहीं होगा, उसकी क़ुबूलियत के लिए ख़ुदा से मांगना बेकार है। याद रखें कि हम सबको बेवकूफ़ बना सकते हैं, लेकिन ख़ुदा को नहीं।
मौलाना ने एक रिवायत के तहत कहा कि जो अमल अल्लाह के लिए नहीं होता अल्लाह उसे क़बूल नहीं करता।
मुंबई के इमाम-ए-जुमआ ने हुसैन अ.स.के ज़िक्र पर ज़ोर देते हुए कहा कि इमाम हुसैन (अ.स.) का ज़िक्र और उनकी अज़ादारी ही एकमात्र ज़रिया है जो हमारे लिए आख़िरत का सबसे बेहतरीन ख़ज़ाना है, इसलिए कोशिश करें कि दिल के इख़्लास के साथ इमाम हुसैन अ.स.का तज़किरा करें और उनकी अज़ादारी करें।