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ईरान एजेंसी (IAEA) की निगरानी में लेकिन ज़ायोनी सरकार किस संधि में शामिल है!?

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ईरान एजेंसी (IAEA) की निगरानी में लेकिन ज़ायोनी सरकार किस संधि में शामिल है!?

ईरानी विदेश मंत्रालय के कानूनी एवं अंतर्राष्ट्रीय मामलों के उप-मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र में 110 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों के साथ एक ब्रीफिंग सत्र में कहा: ईरान पर हमला एक स्पष्ट अपराध है और सुरक्षा परिषद के लिए एक ऐतिहासिक परीक्षा।

काज़िम ग़रीबाबादी ने संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों के प्रतिनिधियों के साथ न्यूयॉर्क में आयोजित इस बैठक में कहा कि ज़ायोनी शासन पिछले आठ दशकों से इस क्षेत्र में अस्थिरता और असुरक्षा का मुख्य कारण रहा है।" उन्होंने ज़ोर देकर कहा: "यह वही शासन है जिसने अब तक 3000 से अधिक आतंकवादी हमले किए हैं, 70 लाख से अधिक फिलिस्तीनियों को विस्थापित किया है, सैकड़ों हजारों लोगों को शहीद किया है और 10 लाख से अधिक फिलिस्तीनियों को गिरफ्तार किया है।

ईरानी विदेश मंत्रालय के उप-मंत्री काज़िम ग़रीबाबादी ने ज़ायोनी शासन के ख़तरनाक परमाणु शस्त्रागार का जिक्र करते हुए स्पष्ट किया: "येरुशलम पर कब्ज़ा जमाए बैठा यह शासन न तो किसी निरस्त्रीकरण संधि का सदस्य है और न ही सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार-रोकथाम समझौतों का। इसके पास सैकड़ों परमाणु वारहेड्स का अवैध भंडार है।

 उन्होंने आगे कहा: जबकि ईरान का परमाणु कार्यक्रम हमेशा से शांतिपूर्ण रहा है और IAEA की कड़ी निगरानी में है फ़िर भी ज़ायोनी शासन तीन दशकों से झूठे दावों के जरिए ईरान के 'परमाणु बम' का भ्रम फैलाकर अमेरिकी सरकार और वैश्विक जनमत को गुमराह कर रहा है।

 ईरान के वरिष्ठ राजनयिक ने हालिया परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमलों पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाओं को लेकर कहा: "अधिकांश देशों ने इस्राइल और अमेरिका की ईरानी सीमा की संप्रभुता के उल्लंघन की निंदा की, लेकिन तीन यूरोपीय देशों, सुरक्षा परिषद, IAEA बोर्ड ऑफ गवर्नर्स और यहां तक कि एजेंसी के महानिदेशक ने न केवल अपने कानूनी-नैतिक दायित्वों को ऩजरअंदाज़ किया, बल्कि अपनी चुप्पी और पक्षपाती रुख से इस जघन्य अपराध को अनदेखा कर दिया।"

 

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