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शहादत, दीनदारी और इल्म;ईरानी मिल्लत की ताक़त का राज़

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शहादत, दीनदारी और इल्म;ईरानी मिल्लत की ताक़त का राज़

आयतुल्लाह अलम उल हुदा न कहा कि दीनदारी और इल्म, ईरानी मिल्लत का वह ताक़तवर तर्क़ीब है जिससे दुश्मन डरता है और शहीद उसी राह में जान फ़िशानी की रौशन मिसाल बने हैं।

मशहद के इमाम जुमा आयतुल्लाह सय्यद अहमद अलम उल हुदा ने मशहद के नौगान इलाक़े में स्थित हुसैनिया अली-ए-अकबरीहा में 12-दिवसीय जंग में शहीद हुए ख़ुरासान रिज़वी प्रांत के 29 शहीदों की याद में आयोजित तक़रीर को संबोधित किया। 

उन्होंने कहा कि दीनदारी और इल्म, ईरानी मिल्लत का वह ताक़तवर तर्क़ीब है जिससे दुश्मन डरता है, और शहीद उसी राह में जान-फ़िशानी की रौशन मिसाल बने हैं।उन्होंने शहीदों को इस्लामी समाज के रौशन सितारे क़रार देते हुए कहा कि उनकी क़ुरबानी ने इंक़िलाब का रास्ता आने वाली नस्लों के लिए रौशन कर दिया। 

आयतुल्लाह अलम उल हुदा ने क़ुरआन करीम की आयत का हवाला देते हुए कहा,जो लोग राह-ए-ख़ुदा में क़त्ल होते हैं,उन्हें मुर्दा न कहो वह ज़िंदा हैं लेकिन तुम समझते नहीं। उन्होंने शहादत को फ़ना नहीं बल्कि बक़ा का रास्ता बताया। 

उन्होंने शहीदों के अहले ख़ाना को तस्लीयत और मुबारकबाद पेश करते हुए कहा,आपने अपनी सबसे कीमती धन राह-ए-इस्लाम में क़ुरबान किया, और यह क़ुरबानी क़यामत के दिन फ़ख़्र का सबब बनेगी।

उन्होंने हज़रत रुक़य्या (स) की मज़लूमियत और शहीदों के परिवार के दर्द को करबला के ग़म से जोड़ते हुए फ़रमाया कि यह दुख़ भी इलाही तिस्कीन का वसीला है। 

आयतुल्लाह अलम उल हुदा ने ताक़ीद की कि दुश्मन मिल्लत-ए-ईरान से दीन और दानिश को छीनना चाहता है, लेकिन शहीदों ने इन दोनों उसूलों की हिफ़ाज़त के लिए जान दी और उम्मत को इत्तेहाद व इस्तिक़ामत का दर्स दिया।

 

 

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