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हज़रत इमाम हुसैन (अ) के ज़ाएरीन कि फज़ीलत

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हज़रत इमाम हुसैन (अ) के ज़ाएरीन कि फज़ीलत

हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) ने एक रिवायत मे हज़रत इमाम हुसैन (अ) के ज़ाएरीन की फज़ीलत बयान फ़रमाई है।

इस रिवायत को "अलआमाली तूसी" पुस्तक से लिया गया है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:

:قال الامام الصادق علیه السلام

إِنَّ الحُسَيْنَ بْنَ عَلِيٍّ عليهما السلام عِنْدَ رَبِّهِ يَنْظُرُ ... وَ يَقُولُ: لَوْ يَعْلَمُ زَائِرِي مَا أَعَدَّ اللّهُ لَهُ لَكَانَ فَرَحُهُ أَكْثَرَ مِنْ جَزَعِهِ... وَ إِنَّ زَائِرَهُ لَيَنْقَلِبُ وَ مَا عَلَيْهِ مِنْ ذَنْبٍ.

हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) ने फ़रमाया:

बेशक इमाम हुसैन (अ) अपने रब के पास बुलंद मकाम पर हैं और देख रहे हैं... और फ़रमा रहे हैं: अगर मेरा ज़ायर (तीर्थयात्री) जान ले कि अल्लाह ने उसके लिए क्या तैयार कर रखा है तो उसकी ख़ुशी उसके ग़म व मलाल से ज़्यादा हो जाए... और जब इमाम हुसैन (अ) का ज़ायर ज़ियारत करके लौटता है, तो उस पर कोई गुनाह बाक़ी नहीं रहता।

अलआमाली तूसी, पेज 55, हदीस 74

 

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