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शिया उलेमा ने मकतब और मज़हब की बक़ा को यकीनी बनाया

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शिया उलेमा ने मकतब और मज़हब की बक़ा को यकीनी बनाया

हौज़ा ए इल्मिया की उच्च परिषद के सचिव ने कहा, शिया उलेमा ने अपनी चमकदार इतिहास में उतार-चढ़ाव के बावजूद मकतब और मज़हब की बक़ा को यकीनी बनाया और ईरान में देश की स्थिरता और मजबूती की निशानी रहे हैं।

हौज़ा ए इल्मिया की उच्च परिषद के सेकंड सचिव आयातुल्लाह जवाद मरवी ने देश भर के हौज़वी वित्तीय प्रबंधकों और अकाउंटेंट्स के दूसरे अजलास और कार्यशाला के समापन समारोह में रूहानियत के स्थान की ओर इशारा करते हुए कहा,शिया रूहानियत अपनी दीप्तिमान इतिहास में विभिन्न उतार-चढ़ाव से गुजरी है, लेकिन हमेशा मकतब और मज़हब के अस्तित्व का कारण बनी और ईरान में स्थिरता और मजबूती की निशानी रही है।

उन्होंने आगे कहा, स्वाभाविक रूप से हौज़ा और रूहानियत के संस्थान में सेवा अन्य संस्थानों से अलग और अधिक महत्वपूर्ण होती है।

आयातुल्लाह मरवी ने कुछ ऐसे बुजुर्गों की ओर इशारा किया जो हौज़ा ए इल्मिया में प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं और कहा, इस पद पर सेवा करना एक खास आध्यात्मिक सम्मान रखता है।

क्योंकि इस पवित्र संस्था की सेवा का फल ऐसे बुजुर्ग और प्रभावशाली व्यक्ति हैं जो मबतक और मज़हब के सेवक हैं। यद्यपि यह माना जाता है कि हौज़ा के सभी स्नातक इस स्तर पर नहीं होते, लेकिन ऐसे व्यक्ति जरूर हैं जिन्होंने मकतब की सेवा की है।

हौज़ा ए इल्मिया की उच्च परिषद के इस सदस्य ने नीति निर्धारण और कार्यान्वयन को रूहानियत की व्यवस्था के लिए दो आवश्यक पंखों के रूप में बताया और कहा,वित्तीय प्रबंधक इन दोनों पंखों के बीच संपर्क का माध्यम हैं और जितना यह माध्यम मजबूत होगा और साथ ही साथ कर्मचारी अपनी जिम्मेदारियों को बेहतर समझेंगे, रूहानियत की व्यवस्था उतनी ही अधिक ऊर्जा प्राप्त करेगी।

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