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अमीरुल मोमनीन अ:स. के हरम में इराक़ में मरज ए आली क़द्र के वकीलों और ट्रस्टियों की ग्यारहवीं आम सभा

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अमीरुल मोमनीन अ:स. के हरम में इराक़ में मरज ए आली क़द्र के वकीलों और ट्रस्टियों की ग्यारहवीं आम सभा

केंद्रीय कार्यालय नजफ़ अशरफ़ की देख़रेख़ में और हज़रत अमीरुल मोमनीन अ:स के हरम में,इराक़ में मरज ए आली क़द्र के वकीलों और ट्रस्टियों का ग्यारहवीं आम सभा आयोजित की गई।

केंद्रीय कार्यालय नजफ़ अशरफ़ की देख़रेख़ में, हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स.अ) के प्रांगण, हरम हज़रत अमीरुल मोमनीन (अ:स) में मरज ए आली क़द्र (दाम ज़िल्लो हुल्-वारिफ़) के इराक़ में वकीलों और ट्रस्टियों का ग्यारहवीं सभा “समाज की तामीर हमारी इज्तेमाई ज़िम्मेदारी” के विषय पर आयोजित हुई।

केंद्रीय कार्यालय के निदेशक, हुज्जतुल इस्लाम शैख़ अली नजफ़ी (दाम ईज़्ज़हू) ने सभा को संबोधित किया। उन्होंने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया और सभा की शुरुआत पर शुभकामनाएँ दी।

उन्होंने कहा कि यह सभा हर साल होती है ताकि आपसी सलाह से ऐसे असरदार रास्ते तय किए जा सकें जो हमारे धार्मिक, राष्ट्रीय और प्रिय इराक़ी लोगों की ज़िम्मेदारियों को बेहतर तरीके से निभाने में मदद करें।

हुज्जतुल इस्लाम शैख़ अली नजफ़ी (दाम ईज़्ज़हू) ने कई अहम मसलों और साझा रुचि के मुद्दों पर चर्चा की, जिन्हें सही तरह से समझना बहुत ज़रूरी है, ताकि हर समस्या का उचित हल निकाला जा सके। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि मौजूदा कठिन हालात से निकलने के लिए हमें एकजुट सोच अपनानी होगी, जो तुरंत कार्रवाई और स्पष्ट, व्यावहारिक योजना की मांग करती है।

उन्होंने कहा कि सामने आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए ठोस योजना बनाना ज़रूरी है और ऐसे कदम उठाने चाहिए जो धर्म और देश की सुरक्षा के मूल सिद्धांतों को मज़बूत करें। उन्होंने कहा कि हमें अपने प्रचार और संदेश पहुँचाने के काम में पूरी ज़िम्मेदारी निभानी चाहिए और जो मेहनत हमने शुरू की है, उसे गंभीर, लगातार और ठीक तरीके से पूरा करना चाहिए।

इसका मक़सद यह है कि हमारी कोशिशें सभी मोमेनीन के साथ मिलकर हों, ताकि सब एकजुट होकर ऐसा नेक समाज तैयार करें जो अंबिया और औलिया की महान रिसालत के लायक हो।
हुज्जतुल इस्लाम शैख़ अली नजफ़ी (दाम ईज़्ज़हू) ने इस बात की आवश्यकता पर भी रोशनी डाली कि केंद्रीय कार्यालय के वकील और ट्रस्टी, जो विद्वान और योग्य हैं, ने हाल के समय में ख़ासकर अज़ीम-उल-शान मिल्युनि ज़ियारतों के मौके पर जो मेहनत की, वह बहुत काबिले-तारीफ़ है।

इसी तरह धर्म की प्रचार-प्रसार गतिविधियाँ, मोमिन नौजवानों का समर्थन, उन्हें मरजइयत-ए-रशीदा से जोड़ना, गर्मियों में ट्रेनिंग कोर्स और इल्मी व क़बाइली मजलिसों में उनकी मौजूदगी यह सभी प्रयास एकजुट संदेश फ़ैलाने के लिए हैं।

उन्होंने कुछ अहम राष्ट्रीय मुद्दों का भी ज़िक्र किया, जिनमें नौजवानों और नई पीढ़ी से लगातार जुड़े रहने और अहलेबैत (अ:स) के ज्ञान को आम करने पर ज़ोर दिया, क्योंकि यह ज्ञान सोच-विचार और फिक्री विकास के लिए बहुत ज़रूरी है चाहे वह इल्मी और शोध मंच हों या हुसैनी मिम्बर। उन्होंने साफ़ कहा कि नौजवानों को करीब लाने और उनकी राह से बुराइयों को दूर करने के लिए एक उद्देश्यपूर्ण प्रोग्राम के विषय में काम करना चाहिए, ताकि पूरा समाज इसका लाभ उठा सके।

अहले इल्म व फ़ज़्ल ने कई तकरीरें की हैं, जिनमें उन्होंने समाजी मसाएल और इस्लाम-ए-मुहम्मदी के परचम को बुलंद करने के लिए जारी कोशिशों पर रोशनी डाली। ये सभी गतिविधियाँ अज़ीज़ इराक़ी लोगों की सेवा में की जा रही हैं, ख़ासकर प्रचार-प्रसार, धार्मिक, नैतिक, अक़ाएद और अन्य क्षेत्रों में।

उन्होंने हुज्जतुल इस्लाम शैख़ अली नजफ़ी (दाम ईज़्ज़हू) का शुक्रिया अदा किया जिन्होंने इस सभा की देख़रेख़ की और इसकी सफ़लता में गहरी रुचि और सक्रिय भागीदारी निभाई।

 

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