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तूफान ए अलअक्सा ने इतिहास का रुख मोड़ दिया दुश्मन की सारी योजनाएं धूल में मिल गई

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तूफान ए अलअक्सा ने इतिहास का रुख मोड़ दिया दुश्मन की सारी योजनाएं धूल में मिल गई

किरमान में मजलिस ए ख़ुबरेगान-ए-रहबरी के प्रतिनिधि आयतुल्लाह शेख बहाई ने सय्यद हसन नसरुल्लाह र.ह. और तूफान-ए-अक्सा के शहीदों की बरसी पर कहा कि यह ऑपरेशन इतिहास का ऐसा मोड़ है जिसने क्षेत्र पर दुश्मन के वर्चस्व की सारी योजनाओं को नाकाम कर दिया हैं।

मजलिस ए ख़ुबरेगाने रहबरी में किरमान की जनता के प्रतिनिधि आयतुल्लाह शेख बहाई ने प्रांत के हौज़ा इल्मिया ख़्वाहरान के तत्वावधान में आयोजित दर्स-ए-अख़लाक़ को संबोधित करते हुए कहा कि तूफान-ए-अक्सा की कार्रवाई केवल एक सैन्य ऑपरेशन नहीं बल्कि क्षेत्र की तकदीर बदलने वाला ऐतिहासिक मोड़ साबित हुआ।

उन्होंने अपने पाठ में इल्म-ए-बदीए की बराअत-ए-इस्तेहलाल" नामक शैली पर चर्चा करते हुए अमीरूल-मोमिनीन हज़रत अली अलैहिस्सलाम के नहजुल-बलागा के ख़त नंबर 31 का उदाहरण पेश किया और फरमाया कि इमाम (अ.स.) ने दुनिया की नापाएदारी और धोखे को बयान करके शुरू में ही इंसान को ज़ुह्द और आख़िरत की ओर मोड़ दिया।

आयतुल्लाह शेख बहाई ने आगे स्पष्ट करते हुए कहा कि जब इंसान मारिफत के उस स्तर पर पहुंच जाता है कि दूसरों की मुसीबत को अपनी मुसीबत समझे तो वह सामाजिक और धार्मिक जिम्मेदारियों को पूरी गंभीरता से निभाता है।

उन्होंने हज़रत अमीरूल मोमिनीन (अ.स.) की नसीहतों में "तक़्वा", "दिल की आबादी ज़िक्र-ए-ख़ुदा से" और "रिसमान-ए-इलाही से मजबूती से थामने" को केंद्रीय संदेश बताते हुए कहा कि ज़िक्र केवल ज़बान से तस्बीह पढ़ना नहीं है, बल्कि नेमतों को खुदा की रज़ा में इस्तेमाल करना ही असली ज़िक्र है।

अंत में आयतुल्लाह शेख बहाई ने सय्यद हसन नसरुल्लाह (रह) और तूफान-ए-अक्सा के शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा,इस ऑपरेशन ने इतिहास को दो हिस्सों में बांट दिया एक तूफान-ए-अक्सा से पहले का ज़माना और दूसरा उसके बाद का दुश्मन आज तक अपनी हार का बदला नहीं ले पाया है।

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