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वह़ीए इलाही का एक ऐसा संकेत जिसे आधुनिक विज्ञान ने उजागर किया

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वह़ीए इलाही का एक ऐसा संकेत जिसे आधुनिक विज्ञान ने उजागर किया

लोहा, जो मनुष्य के लिए एक जीवनदायी तत्व है और क़ुरआन मजीद में शक्ति का प्रतीक बताया गया है, वह़ी और मानव ज्ञान के बीच के अद्भुत तालमेल को दर्शाता है। इसमें मौजूद जानकारी, संकेत और अर्थों की गहराई इस तरह से एक-दूसरे में जुड़ी हुई है कि यह मनुष्य को अल्लाह की हिकमत पर विचार करने और वह़ी में छिपे वैज्ञानिक रहस्यों को खोजने की ओर आमंत्रित करती है।

 पवित्र कुरआन में सूरा नंबर 57 का नाम "हदीद" अर्थात लोहा रखा गया है। इस सूरत में एक आयत आती है जो हमेशा चिंतन और विचार का विषय रही है:

۔۔۔  وَأَنْزَلْنَا الْحَدِيدَ فِيهِ بَأْسٌ شَدِيدٌ وَمَنَافِعُ لِلنَّاسِ ۔۔۔  ...वअंज़लनल हदीदा फ़ीहे बासुन शदीदुन व मनाफ़ेओ लिन्नासे ...

और हमने लोहा उतारा जिसमें बड़ी शक्ति है और लोगों के लिए अनेक लाभ हैं। (कुरआन 57:25)

लोहा मानव जीवन और सभ्यता के लिए एक मूलभूत तत्व है। यह तत्व आवर्त सारणी (Periodic Table) में 26वें स्थान पर है — ऐसी सारणी जिसे कुरआन के नुज़ूल के कई शताब्दियों बाद तैयार किया गया। इसके प्राकृतिक स्थिर समस्थानिकों (isotopes) में से एक प्रमुख समस्थानिक ^57Fe है, जो दुबारा उसी संख्या 57 की ओर संकेत करता है।

आश्चर्यजनक बात यह भी है कि अगर कुरआन के सूरो को शुरुआत से आख़िर तक या विपरीत अर्थात आख़िर से शुरुआत तक गिना जाए, तो सूरत “हदीद” ठीक मध्य में आता है — यानी कुल 114 सूरो में यह 57वां सूरा है। इसके अलावा, अबजद नियम (अरबी अक्षरों के संख्यात्मक मूल्य) के अनुसार, हदीद शब्द का मान 26 और “अल-हदीद” का मान 57 आता है।

क़ुरआन मजीद और मानवीय ज्ञान के बीच पाए जाने वाले ये अद्भुत सामंजस्य, विशेषज्ञों के अनुसार, सोच-विचार और चिंतन के संकेत हैं। निःसंदेह, इन बातों को सामान्य अर्थ में “वैज्ञानिक प्रमाण” नहीं कहा जा सकता, लेकिन ये ऐसे आश्चर्यजनक सामंजस्य हैं जो इस्लाम की आसमानी किताब की ईश्वरीय प्रकृति की समझ को और गहरा करते हैं, तथा इंसान को उसकी उच्च और गहन शिक्षाओं पर मनन करने के लिए प्रेरित करते हैं।

 

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