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अल्लामा तबातबाईः आज तक मैने कभी अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए दुआ नही की

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अल्लामा तबातबाईः आज तक मैने कभी अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए दुआ नही की

आयतुल्लाह हसनजादे अमोली (र) ने अल्लामा तबातबाई की असाधारण नैतिक ऊंचाई का वर्णन किया और कहा कि उन्होंने कभी भी व्यक्तिगत लाभ के लिए दुआ नहीं की।

आयतुल्लाह हसन ज़ादा आमोली (र) अपनी किताब हज़ार व यक नुक़्ता में अल्लामा तबातबाई (र) के एक वाकये का ज़िक्र करते हुए लिखते हैं: "मैंने इमामत के विषय पर एक रिसाला लिखा और उसे अपने उस्ताद अल्लामा तबातबाई की खिदमत में पेश किया। वो कुछ अरसे तक उस रिसाले को अपने पास रखे रहे और पूरा अध्ययन किया।"

आयतुल्लाह हसन ज़ादा आमिली मजीद लिखते हैं: "इस रिसाले में मैंने अपने लिए एक दुआ लिखी थी: 'ख़ुदाया! मुझे ख़िताब-ए-मुहम्मदी (स.) के फहम की सआदत अता फ़रमा।'

जब अल्लामा तबातबाई ने रिसाला वापस किया तो फ़रमाया: 'आका! जब से मैंने खुद को पहचाना है, मैंने कभी अपनी ज़ात के लिए दुआ नहीं की, मेरी तमाम दुआएं हमेशा उम्मत के लिए आम रही हैं।'"

आयतुल्लाह हसन ज़ादा आमोली के अनुसार, यह अख़लाक़ी नसीहत उनके दिल पर गहरा असर छोड़ गई और उनके लिए एक अज़ीम दर्स-ए-अख़लाक़ बन गई।

स्रोत: हज़ार व यक नुक़्ता, भाग 2, पेज 621, अज़ आयतुल्लाह हसन ज़ादा आमेली (र)

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