Print this page

हज़रत ज़हेरा स.अ.की रज़ा और ग़ज़ब का अल्लाह से संबंधित होना उनके महान स्थान का प्रमाण है

Rate this item
(0 votes)
हज़रत ज़हेरा स.अ.की रज़ा और ग़ज़ब का अल्लाह से संबंधित होना उनके महान स्थान का प्रमाण है

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन हबीबुल्लाह फरहज़ादेह ने कहा,पैगंबर ए इस्लाम स.अ.व. ने फरमाया: यदि सारी सुंदरता, सौंदर्य और पूर्णता को एक व्यक्तित्व में एकत्रित कर दिया जाए, तो वह फातिमा ज़हेरा होंगी बल्कि फातिमा सुंदरता और सौंदर्य से भी ऊपर हैं क्योंकि वह सभी अच्छाइयों का स्रोत हैं।

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन हबीबुल्लाह फरहजाद ने हरम हज़रत मासूमा (स.अ.) में फातिमिया के दिनों के अवसर पर संबोधन करते हुए कहा, यदि हम चाहते हैं कि हमें हज़रत फातिमा (स.अ.) की शफाअत प्राप्त हो, तो हमें अपने जीवन और कार्यों को ऐसा बनाना चाहिए जिससे उनकी खुशी हासिल हो।

उन्होंने हज़रत फातिमा (स.अ.) को दुनिया की सभी महिलाओं में अद्वितीय और बेमिसाल बताते हुए कहा,हालांकि बीबी (स.अ.) नबी या इमाम नहीं हैं, लेकिन ज्ञान, तक़्वा, इस्मत साहस और पवित्रता जैसे सभी गुण जो एक मासूम में होते हैं, आपके व्यक्तित्व में मौजूद हैं।

उन्होंने पवित्र कुरान और हदीसों में वर्णित हज़रत ज़हरा (स.अ.) के फज़ाइल का उल्लेख करते हुए कहा, पैगंबर ए इस्लाम (स.अ.व.) ने फरमाया कि यदि सारी सुंदरता, सौंदर्य और पूर्णता को एक व्यक्तित्व में एकत्रित कर दिया जाए, तो वह फातिमा होंगी; बल्कि फातिमा सुंदरता और सौंदर्य से भी ऊपर हैं, क्योंकि वह सभी अच्छाइयों का स्रोत हैं।

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन फरहजाद ने शिया विद्वानों जैसे हज़रत आयतुल्लाह साफी गुलपायगानी, आयतुल्लाह बहाउद्दीनी, आयतुल्लाह फाज़िल लंकरानी और अन्य मरजा की कथनों को उद्धृत करते हुए कहा,हज़रत ज़हरा (स.अ.) की प्रसन्नता और क्रोध अल्लाह की प्रसन्नता और क्रोध से संबंधित है और यही उनके महान स्थान का प्रमाण है।

उन्होंने आगे कहा, फातिमिया के दिनों में भी उसी तरह सक्रिय रहना चाहिए जैसे ग़दीर के दिनों में सक्रियता देखी गई थी और हर मोमिन को अपने नफ्स से सवाल करना चाहिए मैंने हज़रत ज़हरा (स.अ.) के लिए क्या किया है?

हुज्जतुल इस्लाम फरहजाद ने कहा, नज़्र और इताम ,परचम लगाना, मजलिस और अज़ादारी का प्रबंध करना, मौकिब (जुलूस समूह) और सबील लगाना, जुलूसों में भाग लेना आदि, ये सभी शफाअत के रास्ते और हज़रत की प्रसन्नता का कारण हैं। जो व्यक्ति हज़रत ज़हरा (स.अ.) के लिए कदम उठाता है, अल्लाह, पैगंबर ए इस्लाम (स.अ.व.) और अहलेबैत के इमाम (अ.स.) उससे प्रसन्न होते हैं।

उन्होंने अंत में हदीस ए कसा की महानता पर जोर देते हुए कहा,आयतुल्लाह बहजत कहा करते थे कि हदीस ए कसा के वाक्य मोजिज़ा हैं। यदि कोई व्यक्ति अकेला भी इस हदीस को पढ़े तो फरिश्ते हाज़िर होते हैं और उसकी जरूरतें पूरी की जाती हैं। हदीस ए कसा अल्लाह की क़ुरबत और मुश्किलों के हल का सबसे अच्छा साधन है।

 

 

Read 43 times