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शिया उलेमा की विशेष पहचान रही है जनता को सामाजिक सेवाएं प्रदान करना

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शिया उलेमा की विशेष पहचान रही है जनता को सामाजिक सेवाएं प्रदान करना

हज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अहमद वाएज़ी ने कहा,शिया उलेमा की विशेष पहचान यह रही है कि शिक्षा और आत्म-शुद्धि के साथ-साथ उन्होंने हमेशा आम लोगों की सेवा की है और सामाजिक मुद्दों में उनका सहारा बने हैं।

हौज़ा ए इल्मिया क़ुम के इस्लामिक प्रचार कार्यालय के प्रमुख हज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अहमद वाएज़ी ने बाक़रुल उलूम अ.स.रिसर्च इंस्टीट्यूट क़ुम में 40 खंडों वाले संग्रह "तजरबा निगारी फ़रहंगी व तबलीग़ी के विमोचन समारोह को संबोधित करते हुए इस महत्वपूर्ण और मूल्यवान शैक्षिक एवं शोध पहल पर बधाई दी और उन सभी प्रबंधकों और कार्यकर्ताओं को धन्यवाद दिया जो इस संग्रह की तैयारी और संकलन में शामिल रहे।

उन्होंने कहा,यह संग्रह "स्वरूप" और "सामग्री" दोनों ही दृष्टि से सराहनीय है। किसी भी रचना का सामग्रीगत महत्व उसके विषय और प्रस्तुति के तरीके पर निर्भर करता है, लेकिन इस संग्रह की सभी पुस्तकों में जो बात सामान्य है, वह यह है कि ये सभी शिया विद्वानों की सच्ची परंपरा और हौज़ा ए इल्मिया की उज्ज्वल सामाजिक सेवाओं के क्रम में एक व्यावहारिक कदम हैं।

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन वाएज़ी ने कहा, इतिहास में विद्वानों का सम्मान और विश्वसनीयता आम लोगों के साथ रहने उनके दुख-दर्द को कम करने और समाज की समस्याओं में उनकी शरणस्थली बनने से कायम हुआ है। उन्होंने हमेशा शैक्षिक और नैतिक शिक्षा के साथ-साथ सामाजिक सेवा को अपना दायित्व समझा है।

उन्होंने कहा, इस्लामी क्रांति की सफलता के बाद पादवियों के सामने नई जिम्मेदारियाँ और क्षेत्र खुले जिन्होंने गतिविधि के दायरे को तो विस्तृत किया, लेकिन कुछ अवसरों पर आम लोगों से सीधे सामाजिक संपर्क में कमी का कारण भी बने।

इस्लामिक प्रचार कार्यालय के प्रमुख ने कहा, हौज़ा और आम लोगों के विभिन्न वर्गों के बीच सामाजिक दूरी को बढ़ने नहीं देना चाहिए। विद्वानों की सामाजिक उपस्थिति और सामाजिक व सांस्कृतिक आवश्यकताओं के समाधान में सक्रिय भूमिका निभाना समय की महत्वपूर्ण आवश्यकता है।

 

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