हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम की अहादीस (प्रवचन)

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हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम की अहादीस (प्रवचन)

यहां पर अपने प्रिय अध्ययन कर्ताओं के लिए हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम के चालीस मार्ग दर्शन कथन प्रस्तुत कर रहे है।

1- निःस्वार्थता पूर्ण सदुपदेश

हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम ने कहा कि ऐ मनुषयों जो निःस्वार्थ रूप से सदुपदेश दे तथा अल्लाह की किताब को अपना मार्ग दर्शक बनाए तो उसके लिए मार्ग प्रशस्त होगा व अल्लाह उसको सफ़लता देगा व उसकी अच्छाईयों को चिरस्थायी बना देगा। क्योंकि जो अल्लाह की शरण में आगया वह सुरक्षित हो गया अल्लाह का शत्रु(नास्तिक) सदैव भयभीत व निस्सहाय है। अल्लाह का अधिक ज़िक्र (यश गान) करके अपने आप को पापों से बचाओ।

2-हिदायत के लक्षणो को जानना

हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम ने कहा कि जान लो कि हिदायत के लक्ष्णों को जाने बिना तुम तक़वे से परिचित नहीं हो सकते और कुऑन को त्याग देने वालों से परिचित हुए बिना कुऑन के अनुबन्धों को ग्रहण नहीं कर सकते। जब तुम यह सब जान लोगे तो उन चीज़ो से जो लागों ने स्वंय बनाली हैं परिचित हो जाओगे तथा देखोगे कि स्वार्थी लोग किस प्रकार नीचता करते है।

3- वास्तविक्ता व अवास्तविक्ता

हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम ने कहा कि हक़ (वास्तविक्ता) व बातिल (अवास्तविक्ता) के मध्य चार अँगुल का अन्तर है। जो चीज़ आपने अपनी आखोँ से देखी वह हक़ है तथा जिस चीज़ को अपने कानों से सुना वह अधिकाँश बातिल है।

4-मानव की स्वतन्त्रता व अधिकार

हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम ने कहा कि अल्लाह बलपूर्वक अपनी अज्ञा का पालन नहीं कराता और वह अवज्ञा से पराजित नहीं होता। उसने मनुषय को निरर्थक शासनाधीन नहीं छोड़ा है। वह उन समस्त वस्तुओं का मालिक है जो उसने मनुषयों को दी हैं और उन समस्त चीज़ों पर शक्तिमान है जिनमे उनको शक्तियाँ दी हैं। उसने मनुषयों को आदेश दिया कि जिन चीज़ों का आदेश दिया उनको ग्रहण करें तथा उसने मनुषयों को मना किया कि जिन चीज़ों से मना किया उनको न करें।

5-ज़ोह्द हिल्म व दुरुस्ती

हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम से प्रश्न किया गया कि ज़ोह्द क्या है ?आपने उत्तर दिया कि तक़वे को अपनाना व सांसारिक मोहमाया से मूहँ फेरना।

इमाम से प्रश्न किया गया कि हिल्म क्या है? तो आपने उत्तर दिया कि क्रोध को कम करना व इन्द्रियों को वंश में रखना।

इमाम से प्रश्न किया गया कि दुरुस्ति क्या है? आपने उत्तर दिया कि अच्छाईयों के द्वारा बुराईयों का समापन ।

6- तक़वा

हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम ने कहा कि तक़वा तौबा का द्वार व प्रत्येक ज्ञान का रहस्य है। तथा प्रत्येक कार्य की प्रतिष्ठा तक़वे से है। जो साहिबाने तक़वा (तक़वा धारण करने वाले व्यकति ) के साथ सफल रहा उसने तक़वे मे सफलता प्राप्त करली।

7-वास्तविक ख़लीफ़ा

हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम ने कहा कि ख़िलाफ़त का पद उसके लिए है जो हज़रत पैगम्बर की शैली पर चलते हुए अल्ला की अज्ञानुसार कार्य करे। मैं अपनी जान की सौगन्ध खाकर कहता हूँ कि हम अहले बैत हिदायत की निशानियां व परहेज़गारी की शोभा है।

8- श्रेष्ठता व नीचता की वास्तविक्ता

हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम से प्रश्न किया गया कि करम क्या है? आपने उत्तर दिया कि माँगने से पूर्व प्रदान करना व भोजन के समय भोजन कराना।

हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलामसे प्रश्न किया गया कि दिनायत (नीचता) क्या है? आपने उत्तर दिया कि छोटी चीज़ें भी प्रदान करने से मना करना तथा दृष्टि का संकुचित होना।

9- परामर्श सफलता की कुँजी

हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम ने कहा कि कोई भी दो क़ौमें (जातियां) केवल सफलता प्राप्ति के लिए ही परामर्श करती हैं।

10-नीचता

हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम ने कहा कि नेअमत का शुक्रिया (धन्यवाद) अदा न करना नीचता है।

11-लज्जा व नरक

हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम ने कहा कि लज्जा नरक में जाने से उत्तम है। अर्थात अगर लज्जित होने से बचने के लिए कोई ऐसा कार्य करना पड़े जो नरक में जाने का कारण बनता हो तो उस कार्य को नहीं करना चाहिए।

12-मित्रता का गुर

हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम ने अपने एक पुत्र से कहा कि ऐ मेरे प्रियः किसी से उस समय तक मित्रता न करना जब तक यह न देखलो कि वह किन लोगों के साथ उठता बैठता है । जब उसके व्यवहार से भली भाँती परिचित हो जाओ तथा उसके व्यवहार को पसंद करने लगो तो उससे मित्रता करो इस शर्त के साथ कि उसकी ग़लतीयों को अनदेखा करो व विपत्ति के समय उसका साथ दो।

13-अपना व पराया

हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम ने कहा कि अगर एक पराया व्यक्ति अपने प्रेम व मैत्रीपूर्ण व्यवहार से आपसे निकटता प्राप्त कर चुका है तो वह आपका सम्बन्धि है। तथा अगर आपका एक सम्बन्धि भी आपसे प्रेम व मैत्री पूर्ण व्यवहार नहीं करता तो वह पराया है।

15-अल्लाह पर भरोसा

हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम ने कहा कि जो व्यक्ति उस चीज़ पर क़नाअत (निरीहता) करता है जो अल्लाह ने उसके लिए चुनी है तो वह उस चीज़ की इच्छा नहीं करता जो अल्लाह ने उसके लिए नहीं चुनी।

16-मस्जिद में जाने के लाभ

हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम ने कहा कि जो व्यक्ति निरन्तर मस्जिद में जाता है उसको आठ लाभ प्राप्त होते हैं

1- उसको अल्लाह की आयतों का ज्ञान प्राप्त होता है।

2- उसको लाभ पहुचाने वाले मित्र प्राप्त होते हैं।

3- उसको नवीनतम ज्ञान प्राप्त होता है।

4- वह जिस रहमत (दया व कृपा) को चाहता है वह प्राप्त होती है।

5- उसे सही मार्ग दर्शन वाले कथन सुनने को मिलते हैं।

6- वह कथन सुनने को मिलते है जो उसे नीचता से निकालने में सहायक होते हैं।

7- अल्लाह के सम्मुख लज्जित होने से बचने के लिए वह पापों को त्याग देता है।

8- अल्लाह के भय के कारण पापों से दूर होजाता है।

17- सर्व श्रेष्ठ आँख,कान व दिल

हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम ने कहा कि सर्व श्रेष्ठ आँख वह है जो नेकी के मार्ग को देख ले। सर्व श्रेष्ठ कान वह है जो नसीहत को सुने व उस से लाभ उठाए। सर्व श्रेष्ठ दिल वह है जिसमे संदेह न पाया जाता हो।

18-वाजिब व मुस्तहब

जब मुस्तहब्बात* वाजिबात** को नुकसान पहुँचाने लगे तो उस समय मुस्तहब्बात को त्याग देना चाहिए।

* वह कार्य जिनको अल्लाह ने मनुष्य के लिए अनिवार्य नहीं किया है। परन्तु अगर उनको किया जाये तो पुण्य प्राप्त होगा।

**वह कार्य जिनको अल्लाह ने मनुष्यों के लिए अनिवार्य किया है अगर उनको न किया जाये तो मनुष्य दण्डित होगा।

19-नसीहत

हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम ने कहा कि बुद्धिमान को चाहिए कि जब कोई उससे परामर्श ले तो उसके साथ विश्वासघात न करे।

20-इबादत के चिन्ह की महत्ता

हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम ने कहा कि जब तुम अपने भाई से मिलो तो उसके माथे के प्रकाशित भाग(सजदे का चिन्ह) का चुम्बन करो।

21- तज़किया

हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम ने कहा कि अगर कोई इबादत करने के लिए अल्लाह से दुआ करे तो समझो कि उसका तज़किया हो गया है। अर्थात उसने बुराईयों को त्याग दिया है।

22-सद्व्यवहारिता के लक्षण

हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम ने कहा कि सद् व्यवहारिता के लक्षण इस प्रकार हैं--

1- सत्यता

2- कठिनाई के समय में भी सत्यता

3- भिखारियों को दान देना

4- कार्यों के बदले को चुकाना

5- अपने रिश्तेदारों से अच्छे सम्बन्ध रखना

6- पड़ौसियों की सहायता करना

7- मित्रों के बारे में वास्तविकता जानना

8- मेहमान नवाज़ (अतिथि पूजक) होना

23- आदर व वैभव

हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम ने कहा कि अगर सम्बन्धियों के बिना आदर व शासन के बिना वैभव चाहते हो तो अल्लाह की अज्ञा का पालन करो तथा उसके आदेशों की अवहेलना न करो।

24-अहंकार, लोभ, व ईर्ष्या

हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम ने कहा कि अहंकार लोभ व ईर्ष्या मनुष्य को मार डालती है।

अहंकार इससे धर्म बर्बाद होता है तथा इसी के कारण शैतान को स्वर्ग से निकाला गया।

लोभ यह आदमी की जान का शत्रु है इसी के कारण हज़रत आदम को स्वर्ग छोड़ना पड़ा।

ईर्ष्या बुराईयों की जड़ है इसी के कारण क़ाबील ने हाबील की हत्या की।

25-चिंतन

हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम ने कहा कि मैं तुमको वसीयत करता हूँ कि अल्लाह से डरते रहो व चिंतन में लीन रहो , क्योंकि चिंतन ही समस्त अच्छाईयों का जनक है।

26-हाथों का धोना

हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम ने कहा कि भोजन से पहले हाथों को धोने से भुखमरी दूर होती है। तथा भोजन के बाद हाथों को धोने से दुखः दर्द समाप्त होते है।

27-संसार व परलोक

हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम ने कहा कि इस संसार में मनुष्य बेखबर है वह केवल कार्य करता है परन्तु उसके बारे में नहीं जानता। तथा जब परलोक में पहुँचता है तो उसको विश्वास प्राप्त होता है। अतः उस समय उसे ज्ञान प्राप्त होता है परन्तु वह वहां कोई कार्य नहीं कर सकता। अर्थात यह संसार कार्य करने की जगह है जान ने की नही व परलोक जान ने का स्थान है वहां कार्य करने का अवसर नहीं है।

28-व्यवहार

हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम ने कहा कि तुम मनुष्यों के साथ इस प्रकार से बात चीत करो जैसी बात चीत की तुम उनसे इच्छा रखते हो।

29-पाप व पुण्य

हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम ने कहा कि मैं डरता हूँ कि पापियों का दण्ड हमारे कारण दोगुना हो जाएगा। तथा उम्मीदवार हूँ कि पुण्य करने वालों के पुण्य का बदला भी हमारे कारण दोगुना हो जाएगा।

अर्थात अगर हमसे प्रेम करते हुए पुण्य करेगा तो उसको पुण्य का दोगुना बदला मिलेगा। व अगर कोई हमारी शत्रुता रखते हुए पाप करेगा तो उसके पाप का दण्ड दोगुना हो जायेगा।

30-बुद्धि हिम्मत व धर्म

हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम ने कहा कि जिसके पास बुद्धि नहीं उसके पास शिष्टाचार नहीं। जिसके पास साहस नहीं उसके पास वीरता नहीं। जिसके पास धर्म नहीं उसके पास लज्जा नहीं।

31-ज्ञान व शिक्षा

हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम ने कहा कि अपने ज्ञान से दूसरों को शिक्षित करो तथा दूसरों के ज्ञान से स्वंय शिक्षा ग्रहण करो।

32-आदर व वैभव<यh3>

अगर सम्बन्धियों के बिना आदर व शासन के बिना वैभव चाहते हो तो अल्लाह की अज्ञा का पालन करो तथा उसके आदेशों की अवहेलना न करो।

33-धन, दरिद्रता, भय व आनंन्द

हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम ने कहा कि बुद्धि से बढ़कर कोई धन नहीं, अज्ञानता से बढ़कर कोई दरिद्रता नहीं, घमंड से बढ़कर कोई भय नहीं व सद्व्यवहार से बढ़कर कोई आनंन्द नहीं।

34-ईमान का द्वार

हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम ने कहा कि हज़रत अली इमान का दरवाज़ा हैं। जो इसमे प्रविष्ठ हो गया वह मोमिन है तथा जो इससे बाहर होगया वह काफ़िर है।

35-अहलेबैत का हक़

हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम ने कहा कि हज़रत मुहमम्द को पैगम्बर बनाने वाले अल्लाह की सौगन्ध जो भी हम अहलेबैत के हक़ में कमी करेगा अल्लाह उसके अमल में कमी करेगा।

36-सलाम

हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम ने कहा कि जो सलाम करने से पहले बात करना चाहे उसकी किसी बात का उत्तर न दो।

37-श्रेष्ठता

हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम ने कहा कि किसी कार्य को अच्छाई के साथ शुरू करना व इच्छा प्रकट करने से पहले दान देना बहुत बड़ी श्रेष्ठता है।

38-ज्ञान प्राप्ति

हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम ने कहा कि ज्ञान प्राप्त करो अगर उसको सुरक्षित न कर सको तो लिखकर घर में रखो।

39- अल्लाह की प्रसन्नता

हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम ने कहा कि केवल अल्लाह की प्रसन्नता का ध्यान रखने वाला जब अल्लाह से कोई दुआ करता है तो उसकी दुआ स्वीकार होती है।

40-अनुज्ञापी

हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम ने कहा कि जो अल्लाह का अनुज्ञापी हो जाता है अल्लाह समस्त वस्तुओं को उसका अनुज्ञापी बना देता है।

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