ऐसे कुछ लोग हैं जो दुनिया के लालची हैं और उन्हों ने अपनी ख़ाहिशात को भी हासिल कर लिया हैं यहाँ तक कि उस काम का अंजाम बद नसीबी और नाकामी है। इसी के साथ ऐसा भी होता है कि कुछ लोग ऐसे होते हैं जो आख़ेरत के कामों से कतराते हैं और उन को हासिल भी कर लेते हैं लेकिन उसी के ज़रिये ख़ुशनसीबी भी हासिल कर लेते हैं। (बिहारुल अनवार)
हज़रत ने फ़रमायाः मैं तुम्हें पाँच चीज़ों की सिफ़ारिश करता हूः-
अगर तुम पर ज़ुल्म किया जाये तो तुम बदले में ज़ुल्म न करो
अगर तुम्हारे साथ धोका किया जाये तो तुम धोका न देना,
अगर तुम्हें झुटलाया जाये तो तुम नाराज़ न होना
अगर तुम्हारी तारीफ़ की जाये तो तुम ख़ुश न होना,
अगर तुम्हें बुरा कहा जाये तो तुम बेचैनी का इज़हार न करना।
(बिहारुल अनवार दारे एहया अर्बी जिल्द )
हज़रत ने फ़रमायाः
अच्छी बातें चाहे जिस से भी हों, चाहे उस पर अमल न किया जाये फिर भी सीख लो,
(बिहारुल अनवार दारे एहया अर्बी जिल्द सफ़्हा,170)
हज़रत ने फ़रमायाः
कोई भी चीज़ ऐसी चीज़ से मिली नहीं है जो कि इल्म के साथ हिल्म जैसी मिला हो।
(बिहारुल अनवार दारे एहया अर्बी जिल्द सफ़्हा 172)