इमाम मुहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम का शुभ जन्म दिवस

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रजब के महीने को इस्लामी कैलेण्डर में विशेष महत्व प्राप्त है। 

इसका मुख्य कारण यह है कि इसमें पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा (स) के कई परिजनों का जन्म हुआ है।  रजब के महीने को मुसलमान बड़ी इज़्ज़त की नज़र से देखते हैं।  पहली रजब सन 57 हिजरी मे  इमाम मुहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम का जन्म पवित्र शहर मदीने मे हुआ था।  इमाम मुहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम, पैग़म्बरे इस्लाम (स) के पौत्र थे।  उनके पिता इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम थे। आपकी माता हज़रत फ़ातेमा थीं जो हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम की सुपुत्री थीं।  इमाम मोहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम का नाम पैग़म्बरे इस्लाम के नाम पर था। सदगुणों में वे पूर्णरूप से पैग़म्बरे इस्लाम (स) के प्रतीक थे।  पैग़म्बरे इस्लाम (स) ने इमाम मोहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम के पैदा होने की शुभ सूचना पहले ही दी थी।  श्रोताओ, इमाम मुहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम के शुभ जन्म दिवस के अवसर पर हार्दिक बधाई देते हैं।

इमाम मोहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम की एक विशेषता यह है कि उन्हें शिया संस्कृति की क्रांति की आधारशिला रखने वाला माना जाता है।  वैसे तो ज्ञान के प्रचार-प्रसार को मुख्य रूप से इमाम मोहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम के सुपुत्र इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम से जोड़ा जाता है परंतु उसकी बुनियाद इमाम बाक़िर अलैहिस्सलाम ने ही रखी थी। पैग़म्बरे इस्लाम (स) और उनके पवित्र परिजनों में से हर एक, अपने समय और परिस्थितियों के अनुसार काम करता था। इमाम मोहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम के काल में राजनीतिक एवं सामाजिक परिस्थितियां इस प्रकार से थीं कि दूसरे इमामों की अपेक्षा धार्मिक शिक्षाओं, पवित्र कुरआन की व्याख्या और पैग़म्बरे इस्लाम के कथनों को बयान करने का उन्हें अधिक अवसर मिला।

उनके 19 वर्षीय इमामत काल में ऐसी सामाजिक परिस्थितियां उत्पन्न हुई जिनका लाभ उठाकर इमाम मोहम्मद बाक़िर ने इस्लामी शिक्षाओं का भरपूर प्रचार-प्रसार किया।  इमाम बाक़िर अलैहिस्सलाम ने इमामत की अवधि मे ज्ञान के क्षेत्र मे जो दीपक जलाए उनका प्रकाश आजतक चारों ओर फैला हुआ है।  एक प्रख्यात सुन्नी विद्वान, इमाम बाक़िर अलैहिस्सलाम के ज्ञान के सम्बन्ध मे लिखते हैं कि इमाम मुहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम  ने संसार को ज्ञान के छिपे हुए स्रोतों से परिचित कराया। उन्होंने ज्ञान की व्याख्या इस प्रकार से की जिसके कारण वर्तमान समय मे उनकी महानता सबके लिए स्पष्ट है।  ज्ञान के क्षेत्र में महान सेवाओं के कारण ही इमाम बाक़िर को “बाक़िरूल उलूम” कहा जाता है। बाक़िरूल उलूम का अर्थ होता है, ज्ञान को चीरकर निकालने वाला। शिया और सुन्नी मुसलमानों सहित समस्त विद्वान इस बात पर सहमत हैं कि इमाम मुहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम अपने समय में श्रेष्ठ व्यक्ति थे।

इमाम मोहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम ने पवित्र क़ुरआन का अनुसरण करके समाज में ज्ञान के महत्व को इस प्रकार चित्रित किया कि लोग धर्म को उचित ढंग से पहचानें।  इमाम मोहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम ने मानव समाज का मार्गदर्शन ज्ञान की ओर किया।  ज्ञान के बारे में वे कहते थे कि जो विद्वान अपने ज्ञान से समाज को लाभ पहुंचाए वह सत्तर हज़ार उपासकों से बेहतर है।

इमाम मुहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम का जीवन, एक परिपूर्ण मनुष्य के जीवन का उच्चतम आदर्श है। इमाम बाक़िर की एक विशेषता उनके अंदर समस्त सदगुणों का एकत्रित हो जाना है।  इसी तरह इमाम, अध्यात्म और महान ईश्वर की उपासना पर जो ध्यान देते हैं वह इस बात में बाधा नहीं बनता था कि इमाम, सामाजिक एवं भौतिक जीवन पर ध्यान न दें। इमाम मुहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम के जीवन पर दृष्टि डालने से यह बात स्पष्ट हो जाती है कि इमाम जीवन के समस्त क्षेत्रों में सर्वोच्च आदर्श हैं। वे ज्ञान एवं सदगुणों की दृष्टि से शिखर बिन्दु पर थे।

समाज में इमाम मुहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम की महत्वपूर्ण उपस्थिति को बयान करने के लिए इस बिन्दु का उल्लेख करना काफी है कि इमाम मुहम्मद बाक़िर और उनके बाद उनके सुपुत्र इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम ने शैक्षिक केन्द्रों की आधारशिला रखी।  जिन लोगों ने इन शिक्षा केन्द्रों से ज्ञान अर्जित किया उन्होंने लगभग छह हज़ार किताबें लिखी हैं। इमाम मुहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम, पवित्र क़ुरआन और पैग़म्बरे इस्लाम (स) की परम्पराओं से पूर्णत रूप से अवगत थे।  वे लोगों को इससे अवगत कराते और उन्हें अज्ञानता के अंधकार से निकाल कर ज्ञान के प्रकाश में ले आते थे।

इमाम बाक़िर इस बात को बिल्कुल पसंद नहीं करते थे कि दूसरे उनकी आजीविका की पूर्ति करें।  मुहम्मद बिन मुनकदिर नामक एक व्यक्ति का कहना है कि एक बार मैं मदीना नगर में कहीं जा रहा था।  बहुत तेज़ गर्मी पड़ रही थी।  इस तेज़ गर्मी में इमाम बाक़िर एक खेत में काम कर रहे थे।  उनके शरीर से पसीना बह रहा था।  जब मेरी नज़र इमाम बाक़िर पर पड़ी तो मेरे मन में यह विचार आया कि क़ुरैश के क़बीले का एक महान व्यक्ति इस गर्मी में क्यों खेत में काम कर रहा है?  मैंने सोचा कि उनके पास जाकर मैं उन्हें समझाऊं कि आप जैसे महान व्यक्ति को यह शोभा नहीं देता कि वह खेत में काम करे।  उसने बड़े आश्चर्य से पूछा हे इमाम आपके जैसा समझदार और बुद्धिमान व्यक्ति, इस भीषण गर्मी में कुछ पैसों के लिए घर से बाहर इतनी मेहनत क्यों कर रहा है।  उसने कहा कि ऐसी स्थिति में यदि आपको मौत आ गयी तो अल्लाह को आप क्या जवाब देंगे?   

इमाम बाक़िर ने उसके उत्तर में कहा कि क्या तुमको लगता है कि केवल नमाज़, रोज़ा, हज और ज़कात ही इबादत है?  उन्होंने कहा कि इस समय मैं आजीविका की तलाश में हूं।  अब अगर एसे में मुझे मौत आती है तो मैं ईश्वर की उपासना करते हुए इस दुनिया से जाऊंगा।  इमाम मुहम्मद बाक़िर कहते हैं कि लोगों को पाप करते समय डरना चाहिए क्योंकि यदि उस समय मौत आ गई तो फिर क्या होगा?

 

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