ऐ हुसैन इब्ने अली आप रसूल के बेटे, क़ुर्आन की तफ़्सीर और और उम्मत की शक्ति थे, आप अल्लाह के अहकाम पर पूरी तरह अमल करते थे और अल्लाह के लिए गए वादों को पूरा करने की पूरी कोशिश करते थे,आप गुनहगारों को देख कर उदास होते थे और इस ज़मीन के ज़ालिमों की कभी भी बर्दाश्त नहीं करते थे, आप देर तक रुकूअ और सजदे अंजाम देते, आप दुनिया के सब से सबसे मुत्तक़ी और परहेज़गार इंसान थे।" (बिहारुल अनवार, जिल्द 101, पेज 239)
अगर इमाम मेहदी अ.स. द्वारा इमाम हुसैन अ.स. के बारे में दिए गए बयान पर ग़ौर किया जाए तो मालूम होगा कि आपके बयान में इमाम हुसैन अ स की कुछ ख़ुसूसियत ज़ाहिर होती हैं, जैसे आप रसूल के बेटे, क़ुर्आन की तफ़्सीर हैं यानी जो कुछ क़ुर्आन में शब्दों की शक्ल में मौजूद है वह सब आप के जीवन में दिखाई देता है, इस्लाम की ताक़त इमामत होती है, आप ने इमाम हुसैन अ.स. को इस्लाम की ताक़त इसी लिए कहा क्योंकि इस्लाम पर सब से बुरा समय आप के दौर में पड़ा और आपने भी इस्लाम के हाथ बनते हुए उसकी ऐसी रक्षा की कि अब क़यामत तक कोई बुरी निगाह डालने की हिम्मत भी नहीं कर सकता, और इसी प्रकार जब आप इबादत के लिए खड़े होते तो अपने समय के सबसे बड़े आबिद कहलाते थे।
अगर देखा जाए तो हम केवल इमाम हुसैन अ.स. के जीवन को केवल कर्बला के ज़रिए जानते हैं कि आप ने अत्याचार और अन्याय के ख़िलाफ़ आंदोलन किया, और ये बात रौशन है कि आपकी ज़िंदगी की सबसे बड़ी उप्लब्धि यही है लेकिन केवल यही नहीं है, इमाम हुसैन अ.स की इबादत जिसकी तरफ़ इमाम मेहदी अ.स. ने इशारा किया है, और ख़ास कर दुआए अरफ़ा में जिस तरह आपने अल्लाह से दुआ की है उससे आपका अल्लाह से संबंध कितना गहरा था इस बात का पता चल जाता है।
अबू हमज़ा सूमाली का बयान है कि एक बार मैंने इमाम बाक़िर अ स से कहा, ऐ पैग़म्बर के बेटे क्या आप लोग क़ाएम नहीं हैं? और हक़ को क़ाएम करने वाले नहीं हैं?
फिर केवल इमाम मेहदी अ.स. को ही क़ाएम क्यों कहा जाता है?
इमाम अ स ने फ़रमाया, जब इमाम हुसैन अ.स. को कर्बला में तीन दिन का भूका प्यासा शहीद किया गया, तो फ़रिश्तों के बीच कोहराम मच गया था, फ़रिश्तों ने पूछा था ख़ुदाया क्या तू अपने सब से प्यारे और चहीते बंदों के क़त्ल करने वालों को बिना सज़ा दिए छोड़ देगा?
अल्लाह ने अपनी इज़्ज़त और जलाल की क़सम कहते हुए कहा था ऐ फ़रिश्तों, उनसे बदला ज़रूर लूँगा चाहे कुछ समय बाद ही क्यों न हो, फिर अल्लाह ने उनके सामने से पर्दा हटाते हुए इमाम हुसैन अ.स. की नस्ल से आने वाले सभी इमामों के नूर को पहचनवाया, फ़रिश्ते यह देख कर ख़ुश हो गए, फिर देखा उनमें से एक नूर क़याम की हालत में अल्लाह की इबादत में व्यस्त है, अल्लाह ने फ़रमाया, यह क़ाएम है जो हुसैन के क़त्ल करने वालों से बदला लेगा। (दलाएलुल-इमामत, तबरी, पेज 239)