पड़ोसी का हक़ क्या है? पैग़म्बरे इस्लाम का अहम कथन

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पड़ोसी का हक़ क्या है? पैग़म्बरे इस्लाम का अहम कथन

इस्लाम में पड़ोसी के अधिकारों पर बहुत ज़ोर दिया गया है। पड़ोसियों स अच्छा बर्ताव अच्छा माहौल पैदा करता है जिसमें एक मुहल्ले के लोग अच्छा विकास करते हैं और समाज अच्छ होता है।

सबसे पहले हम पड़ोसी के हक़ के बारे में पैग़म्बरे इस्लाम का कथन बयान करते हैं। पैग़म्बरे इस्लाम ने अपने सहाबियों से पूछा कि जानते हो कि पड़ोसी का क्या हक़ होता है?

सहाबियों ने जवाब दिया कि नहीं!

पैग़म्बर ने फिर पड़ोसियों का हक़ इस तरह बयान कियाः

एक पड़ोसी का दूसरे पड़ोसियों पर हक़ है कि अगर बीमार पड़ जाए तो उसे देखने जाएं अगर उसकी मौत हो जाए तो उसके अंतिम संस्कार में शामिल हों, अगर तुमसे क़र्ज़ मांगे तो उसे दे दो, उसकी ख़ुशी में मुबारकबाद दो और ग़म के समय सांत्वना दो, अपनी इमारत उसकी इमारत से ऊंची न बनाओ कि हवा का बहाव रुक जाए, अगर फल ख़रीदो तो थोड़ा उसे तोहफ़े में दो अगर उसे नहीं दिया तो फल अपने बच्चों को न दो कि वो खाएं और पड़ोसी के बच्चे मुंह देखें, अच्छे खानों की ख़ुशबू से पड़ोसी को परेशान न करो, हां यह हो सकता है कि उसमें से खाना उसके लिए भेजो।

बेहारुल अनवार जिल्द 79 पेज 93

 

 

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