रेत में मिला अमेरिकी ग़ुरूर, इस तरह सुपर पावर की हुई फ़ज़ीहत

Rate this item
(0 votes)
रेत में मिला अमेरिकी ग़ुरूर, इस तरह सुपर पावर की हुई फ़ज़ीहत

5 उर्दीबहिश्त सन 1359 हिजरी शम्सी को  ईरानी जनता की क्रांति और शाह की तानाशाही व्यवस्था के पतन के लगभग 15 महीने बाद, जो अमेरिका पर निर्भर थी, अमेरिकी सैन्य बलों का ऑप्रेशन, जिसे ऑप्रेशन ईगल्स क्लॉ कहा जाता था, ईरान के रेगिस्तानी इलाक़े तबस में एक बड़ी आपदा में फंस कर नाकाम हो गया।

यह घटना तत्कालीन अमेरिका के राष्ट्रपति जिमी कार्टर द्वारा ईरान पर सैन्य हमला शुरू करने के निर्णय के बाद घटी थी।

यह हमला उन जासूसों की रिहाई के बहाने किया गया था जिन्हें 13 नवम्बर 1358 हिजरी शम्सी को ईरानी छात्रों ने पकड़ लिया था लेकिन इस हमले मुख्य लक्ष्य ईरान के राजनीतिक और सैन्य केंद्रों पर हमला करना और ईरान की लोकतांत्रिक व्यवस्था को गिराना था।

वाइट हाउस के नेताओं ने जो छात्रों के आंदोलन और उनके ख़ुलासों से आश्चर्यचकित थे, सैन्य बलों का उपयोग करने और कुछ आंतरिक लोगों के समर्थन और पश्चिमी समाचार एजेंसियों के प्रचार की छत्रछाया से ईरान में अपनी पिट्ठुओं सरकार को बिठाने का फ़ैसला किया था।

ईरान में अमेरिकी सेना की घुसपैठ

योजना के अनुसार, 4 उर्दीबहिश्त 1359 हिजरी शम्सी को सात विशालकाय सी-130 हवाई जहाज और आठ हेलीकॉप्टर ईरान की सीमा में घुसे जबकि स्पेशल आप्रेशन आर्मी, विकसित और उन्नत सैन्य उपकरण और हथियारों जैसे जीप, स्पीड मोटर साइकिल और आप्रेशन में प्रयोग होने वाली दूसरी चीज़ों से भी लैस थी।

अमेरिकियों ने ईरान के दक्षिणी इलाक़े से सीमाओं के भीतर घुसपैठ किया और बनी सद्र की पश्चिम पर निर्भर सरकार के समन्वय से, लगभग सौ किलोमीटर की यात्रा तय करने के बाद, वे अपने रास्ते में किसी भी बाधा और रुकावट के बिना तबस के रोबात खान इलाक़े के पास खंडहर में बदल चुके एक हवाई अड्डे पर उतरे।

घुसपैठ करने वाले सैनिकों के साथ एक समन्वित अभियान के मुताबिक़, विमान भेदी सिस्टम पहले ही टारगेटेड रास्ते से हटा दिए गए थे और जब स्पेशल आर्मी तबस रेगिस्तान में पहुंची तो आधी रात हो चुकी थी।

ऑप्रेशन की नाकामी और अमेरिकी सैनिकों और सैन्य उपकरणों की तबाही का एक नज़ारा

जब अमेरिकी सैनिक तबस के रेगिस्तान में थे, तब उनका एक हेलीकॉप्टर, सी-130 विमान से ईंधन भरकर जमीन से उड़ा और विमान से टकरा गया जिसके बाद हेलीकॉप्टर और विमान दोनों में आग लग गई।

तबस के रेगिस्तान में तबाह अमेरिकी सी-130 विमान की एक तस्वीर

फिर रेतीले तूफ़ान की वजह से 2 अन्य हेलीकॉप्टरों में तकनीकी ख़राबी हो गयी और वे ऑप्रेशन अंजाम देने में असमर्थ हो गए।

इसका नतीजा यह निकला कि अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जिमी कार्टर से बातचीत के बाद आप्रेशन रोक दिया गया और अमेरिकियों को डर था कि वे सभी ईरान में एक रेतीले तूफान में तबाह हो जाएंगे या ईरानी बलों द्वारा गिरफ़्तार हो जाएंगे और इसके बाद उन्होंने अंधरे का फ़ायदा उठाया और सिर पर पैर रखकर भाग खड़े हुए।

तबस के रेगिस्तान में अमेरिकी हेलीकॉप्टर

अमेरिकी सैन्य बलों की कमान की शक्ल इतनी ख़राब हो गई थी कि आठ अमेरिकी सैनिक मारे गये और अमेरिकियों ने हेलीकॉप्टरों में अपने गोपनीय दस्तावेज़ तक छोड़ दिए।

तबस की हार अमेरिकी साम्राज्यवाद के लिए करारा झटका थी और यह वाइट हाउस के नेताओं की बदनामी का कारण बनी।

पहलवी शाही शासन के पतन और अमेरिकी जासूसों की गिरफ्तारी के लिए अमेरिका ईरानी जनता को दंडित करना चाहता था लेकिन इसका परिणाम उल्टा निकला।

सुप्रीम लीडर तबस में अमेरिकी सैन्य उपकरणों की तबाही को देखते हुए

सुप्रीम लीडर तबस में अमेरिकी सैन्य उपकरणों की तबाही को देखते हुए

दूसरी बात यह है कि ईरानी जनता अधिक सतर्क हो गयी और पश्चिमी वर्चस्ववादी धारा की दुश्मनी और अधिक स्पष्ट होकर सामने आ गयी और साथ ही पश्चिमी साम्राज्यवादी और उसके भीतरी पिट्ठु पूरी तरह से बदनाम हो गये।

अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर चाहते थे कि बंधकों की रिहाई के बाद वे एक बार फिर राष्ट्रपति पद के लिए चुने जाएं, लेकिन इस नाकामी और चुनाव तक जासूसों को न छोड़ने के इस्लामी क्रांति के संस्थापक इमाम ख़ुमैनी के फैसले के कारण, अमेरिकी जनता ने कार्टर को वोट नहीं दिया और वह चुनाव हार गए जिसके बाद एक इन्टरव्यू में उन्होंने कहा कि

"मेरा राष्ट्रपतिकाल, अमेरिका में सबसे ख़राब राष्ट्रपतिकाल रहा है क्योंकि उस समय अयातुल्लाह ख़ुमैनी ने अमेरिकी सरकार को बंधक बना लिया था"

Read 150 times